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46 साल से पेंशन का इंतजार कर रही विधवा, 91 साल की महिला का केस देख हाईकोर्ट भी भड़का

91 वर्षीय महिला 4 दशक से ज्यादा समय से पेंशन का इंतजार कर रही। उड़ीसा हाईकोर्ट ने केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर सूर्यवंशी मयूर विकास को महिला को पारिवारिक पेंशन की व्यवस्था करने के लिए एक महीने का समय दिया है।

नई दिल्लीMar 25, 2024 / 02:36 pm

Shaitan Prajapat

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एक महिला 46 साल से अपनी पेंशन का इंतजार कर रही है। इस समय महिला की उम्र 91 साल हो गई है। महिला के पति का 26 अगस्त, 1977 को निधन हो गया था। तभी से वह पेंशन की राह देख रही है। उड़ीसा हाईकोर्ट ने बीते साल केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर को आदेश दिया था लेकिन अभी तक महिला की पेंशन शुरू नहीं हुई है। चार महीने बाद कोर्ट ने फिर आदेश जारी करते हुए एक महीने के अंदर पेंशन की राशि देने के लिए कहा है। बता दें कि बुजुर्ग महिला अपने 60 वर्षीय सेवानिवृत्त मत्स्य विभाग कर्मचारी बेटे, बहू, तीन पोते और दो पोतियों के साथ केंद्रपाड़ा जिले के पलेई डेराकुंडी में रहती है। पेंशन का इंतजार कर रही महिला को अब हाईकोर्ट ने राहत दी है।

पेंशन की राह देखते महिला ने 46 साल गुजारे

उड़ीसा हाईकोर्ट ने केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर सूर्यवंशी मयूर विकास को एक 91 वर्षीय महिला को पारिवारिक पेंशन के वितरण की व्यवस्था करने के लिए एक महीने का समय दिया है। महिला का पति एक स्कूल शिक्षक थे, जिनकी 46 साल पहले मृत्यु हो गई थी। इससे पहले कोर्ट ने 15 नवंबर 2023 को आदेश जारी किया था, जिसमें कलेक्टर को पेंशन मंजूर करने के निर्देश दिए गए थे।

एक महीने में पेंशन की राशि देने के निर्देश

अदालत ने 15 नवंबर, 2023 को आदेश पारित किया गया, लेकिन महिला को उसकी पेंशन नहीं मिली। अवमानना याचिका दायर करने के बाद न्यायमूर्ति बिरजा प्रसन्ना सतपथी की एकल न्यायाधीश पीठ ने शुक्रवार को आदेश किया है। कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन करने के लिए अवमाननाकर्ता को एक महीने का अतिरिक्त समय देकर इस अवमानना याचिका का निपटारा किया जाता है। उन्होंने चेतावनी दी, यदि तय समय के भीतर आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो इसे इस अदालत के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन माना जाएगा।

जानिए पूरा मामला क्या है

मामले के रिकॉर्ड के अनुसार, महिला ने 1991 से केंद्रपाड़ा में स्कूल और जन शिक्षा अधिकारियों के सामने कई याचिकाएं दायर की हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 21 अगस्त, 2023 को केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर ने पारिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवा लाभों के लिए उनके प्रतिनिधित्व को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मामला पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र नहीं था। क्योंकि योजना 1980-81 में शुरू की गई थी, जबकि पति की मृत्यु 1977 हो गई थी।

कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश को किया रद्द

महिला ने 19 अक्टूबर, 2023 को एचसी में याचिका दायर की। अदालत ने केंद्रपाड़ा कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया और कहा, अगर पति जीवित होता तो वह 1983 में सेवानिवृत्त हो जाता, जिससे वह पेंशन योजना के लिए पात्र हो जाता।


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