एनआईए सूत्रों के मुताबिक़ जांच में सामने आया है कि धमाके के लिए काम में ली गई मोटरसाइलिक भले ही प्रज्ञा के नाम पर थी, लेकिन उसका इस्तेमाल रामचंद्र कलसंघ्रा करता था। 2006 से वह उसकी बाइक चला रहा था। हो सकता है उसी ने इस बाइक का प्रयोग धमाके में किया हो।
वो सब जो आप जानना चाहते हैं
– धमाकों के बाद हुईं गिरफ्तारियां
8 सितंबर 2006 को कुल 4 बम धमाके हुए थे। जांच एजेंसी एटीएस ने तब कुल 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर 9 युवकों को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ मकोका के तहत आरोप पत्र दायर किये गए थे। एटीएस ने मामले में एक आरोपी को सरकारी गवाह भी बनाया था, लेकिन बाद में वो मुकर गया।
– सीबीआई ने भी एटीएस की कहानी को ही आगे बढ़ाया
एटीएस की जांच पर सवाल उठने पर मामला सीबीआई को दे दिया गया। सीबीआई ने भी एटीएस की कहानी को ही आगे बढ़ाते हुए 11 फ़रवरी 2010 को सभी 9 आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की।
– 2008 वाले धमाके के मामले में क्या हुआ
2008 में हुए धमाके के मामले में एटीएस की जांच में ‘अभिनव भारत’ संस्था का नाम सामने आया था। इस मामले में स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
– गिरफ्तारी से पहले हुई सुनील की ह्त्या
असीमानंद ने अपने इकबालिया बयान में सुनील जोशी का नाम लिया था। बताया जाता है कि सुनील जोशी ने इस हमले के बारे में कहा था कि उनके लड़कों ने यह काम किया था। बाद में सुनील जोशी की हत्या हो गई थी। पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
– असीमानंद के बयान पर आगे बढ़ी एनआईए
इसके बाद मामले में नया मोड़ तब आया जब असीमानन्द के बयान के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 4 दूसरे लोगों को मामले में आरोपी बनाया और उनके खिलाफ 25 मई 2013 को एनआईए के स्पेशल कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया। तब से यह मामला उलझा हुआ है।