
भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ( फोटो- एक्स पोस्ट वीडियो स्क्रीनशॉट)
भारत में मानवाधिकारों की आलोचना करने पर UNHRC (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग) के दौरान भारतीय राजनयिक ने जमकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा यह बहुत विडंबनापूर्ण है कि एक ऐसा देश, जिसका खुद का रिकॉर्ड अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने का रहा है, वह दूसरों को मानवाधिकारों पर ज्ञान दे रहा है। बुधवार को जिनेवा में UNHRC के 60वें सत्र की 34वीं बैठक में भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने पाकिस्तान को यह साफ कर दिया कि अब उसे अपने देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर रोक लगानी होगी।
हाल ही पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तानी सरकार द्वारा एयर स्ट्राइक कर अपने ही लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद कुछ दिनों बाद ही भारत का यह बयान सामने आया है। इस हमले में 23 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए थे। पाकिस्तान सरकार द्वारा अपने ही लोगों को मारे जाने की विश्व स्तर पर कड़ी आलोचना की गई थी। भारत सरकार भी कई मौकों पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर चिंता जता चुकी है। इसी कड़ी में अब एक बार फिर भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान को इस मुद्दे पर जमकर आड़े हाथों लिया।
भारत के साथ साथ दुनिया भर से कई लोगों ने पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गंभीर चिंता जताई। इसी बातचीत के दौरान, जॉश बाउल्स नामक एक अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक शोधकर्ता ने पाकिस्तान में प्रेस की आजादी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पाकिस्तान 180 देशों में से 158वें स्थान पर है। बाउल्स ने कहा, USCIRF ( अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग) की 2025 की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 700 से ज़्यादा लोग धर्म या धार्मिक चीज़ों के ख़िलाफ़ कुछ अपमानजनक बोलने के आरोपों में जेल में बंद है।
इस साल यह संख्या पिछले साल से 300 प्रतिशत ज़्यादा है। इसी के साथ बाउल्स ने पाकिस्तान में बलूच लोगों पर हो रहे ज़ुल्मों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, बलूच नेशनल मूवमेंट की मानवाधिकार संस्था ने सिर्फ़ 2025 की पहली छमाही (जनवरी से जून) में 785 जबरन उठाने और 121 हत्याओं के मामले दर्ज किए है। बाउल्स ने यह भी बताया कि, पश्तून राष्ट्रीय जिरगा (पश्तून नेताओं की सभा) के अनुसार, वर्तमान में भी 4000 पश्तून लोग ग़ायब हैं।
इस दौरान मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ आज़ाकिया ने भी पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में लम्बे समय से फ़ौजी अभियान चल रहे हैं। आजकिया ने दावा किया कि इन इलाकों में गैर-न्यायिक हत्याएं, ज़बरन ग़ायब करना और यातना जैसे मामले सामने आए हैं और इन लोगों के परिवार लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे है।
Published on:
02 Oct 2025 11:53 am
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