क्या कहते हैं नए नियम नए नियमों के मुताबिक ड्रोन के इस्तेमाल से पहले टेस्टिंग भी होनी चाहिए साथ ही उसके मालिक को भी एक वैध लाइसेंस प्राप्त करना होगा। सरकार ने एक विशेष फार्म जारी किया है, जिसके जरिए ड्रोन का आवेदन कर सकते हैं। गौरतलब है कि अब सरकार ने ड्रोन से जुड़े कई काम ऑनलाइन कर दिए हैं, जिसमें ऑनलाइन लाइसेंस आदि देने की प्रक्रिया शामिल है।
ड्रोन में ट्रैकिंग डिवाइस अनिवार्य इसके अलावा अब ड्रोन के लिए एक रूट बनाने की बात कही जा रही है और ड्रोन के वजन, रूट आदि के आधार पर कई नियम तय किए गए हैं। जिस तरह पहले ड्रोन उड़ाने की परमिशन लेना काफी मुश्किल था, जिस प्रक्रिया को अब आसान कर दिया गया है। ड्रोन बनने के बाद या फिर इंपोर्ट करने के बाद 30 दिन के भीतर ही उसका रजिस्ट्रेशन डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के अंतर्गत होना चाहिए और यूनिक नंबर ले लेना होगा। अगर ड्रोन खराब हो गया हो तो तुरंत मालिक को डीरजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। ड्रोन में रियल ट्रेन ट्रैकिंग डिवाइस होनी चाहिए।
3 जोन बनाए गए नए नियमों के अनुसार ड्रोन उड़ाने के लिए 3 जोन बनाए गए हैं। इनमें रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन है। जानकारी के मुताबिक रेड और येलो जोन में उड़ने के लिए परमिशन लेनी होगी। खास बात यह है कि किसी को नुकसान पहुंचाने की नियत से ड्रोन को उड़ाने की इजाजत कतई नहीं होगी। ड्रोन में किसी भी तरीके के हथियार एक्सप्लोसिव या फिर खतरनाक वस्तुओं का रखना पूरी तरीके से प्रतिबंधित रहेगा।
रक्षा एजेंसियों को मिली छूट अगर ड्रोन के जोन की बात करें तो 120 मीटर की ऊंचाई को ग्रीन जोन माना जाएगा, लेकिन इसके नीचे ड्रोन उड़ाने के लिए मालिक को विस्तृत ब्यौरा देना पड़ेगा। वहीं 120 मीटर की ऊंचाई के नीचे यलो जोन रहेगा। इसमें ड्रोन उड़ाने के लिए व्यक्ति को संबंधित एजेंसी से अनुमति लेनी होगी।
हालांकि रक्षा संस्थानों के ड्रोन को इन नियमों से छूट दी गई है। ड्रोन उड़ाते समय सारे सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ेगा। ड्रोन के भीतर एक जियो फेंसिंग कैपेसिटी होनी चाहिए। वहीं डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अगर रजिस्टर नहीं है तो ड्रोन उड़ाने की इजाजत नहीं होगी।