Indian Railway Chain Pulling Rules: भारतीय रेलवे में चेन खींचने से इतनी भारी भरकम ट्रेन कैसे रुक जाती है? आइए समझते हैं कि यह तकनीक आखिर कैसे काम करती है।
Train Chain Pulling System: भारतीय रेलवे (Indian Railways) में आपने हर कोच में लटकती हुई लाल आपातकालीन चेन को जरूर देखा होगा। यह कोई साधारण रस्सी नहीं होती, बल्कि एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली (Safety System) का हिस्सा होती है। जब इस चेन को खींचा जाता है, तो यह ट्रेन को रोक देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केवल एक चेन खींचने से इतनी भारी भरकम ट्रेन कैसे रुक जाती है? इसके पीछे एक खास तकनीक काम करती है। आइए समझते हैं कि यह तकनीक आखिर कैसे काम करती है।
आपातकालीन चेन एक मैकेनिकल सिस्टम से जुड़ी होती है, जिसे अलार्म चेन पुलिंग (ACP) सिस्टम कहते हैं। जब कोई यात्री इस चेन को खींचता है, तो यह सिस्टम कोच में मौजूद ब्रेकिंग मैकेनिज्म के एक विशेष हिस्से को सक्रिय कर देता है, जिसे ब्रेक पाइप वॉल्व कहते हैं।
यह सिस्टम ट्रेन में अचानक किसी खतरे, दुर्घटना या यात्री की तबीयत बिगड़ने जैसी आपात स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसका दुरुपयोग करना एक दंडनीय अपराध है। यदि कोई व्यक्ति बिना उचित कारण के चेन खींचता है, तो उस पर 1000 रुपए तक का जुर्माना या कैद हो सकती है (रेलवे अधिनियम की धारा 141 के तहत)।
ट्रेन रुकने पर गार्ड या ट्रेन स्टाफ उस कोच तक जाते हैं, जहां चेन खींची गई है। अगर बिना वैध कारण (जैसे मजाक या निजी देरी के लिए) चेन खींची गई हो, तो रेलवे नियमों के तहत व्यक्ति पर जुर्माना या जेल हो सकती है। दबाव कम होने के कारण सभी कोचों के ब्रेक्स अपने आप लग जाते हैं। ट्रेन रुक जाती है। नई ट्रेनों में एक सिग्नल लोको पायलट (ड्राइवर) को कंट्रोल पैनल पर अलार्म या लाइट के जरिए मिलता है, जो बताता है कि चेन खींची गई है और किस कोच में खींची गई है। कोई चेन खींचता है, तो एक छोटा वॉल्व खुलता है, जो ब्रेक पाइप से कंप्रेस्ड एयर को बाहर निकाल देता है। हवा का दबाव कम होने से सिस्टम को लगता है कि कुछ गड़बड़ है। शायद कोई लीक हुई है या इमरजेंसी है। भारतीय रेलवे चेन पुलिंग की निगरानी और दुरुपयोग कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक अलार्म सिस्टम और CCTV के साथ ट्रेनों को अपग्रेड कर रहा है। कुछ ट्रेनों में ब्रेक सिलेंडर्स में सेंसर्स भी हैं, जो चेन खींचने की सटीक लोकेशन रिकॉर्ड करते हैं।
भारत में ट्रेन की चेन पुलिंग (अलार्म चेन) के बाद ट्रेन रुकने का समय कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे ट्रेन की गति, चालक की प्रतिक्रिया, और तकनीकी स्थिति।
रुकने का समय: चेन पुलिंग के बाद ट्रेन आमतौर पर 30 सेकंड से 2 मिनट के भीतर रुक जाती है। यह ट्रेन की गति और ब्रेकिंग सिस्टम पर निर्भर करता है।
प्रक्रिया: चेन खींचने पर वैक्यूम या इलेक्ट्रॉनिक ब्रेक सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे ट्रेन धीमी होकर रुकती है। चालक को सिग्नल मिलता है, और वह तुरंत ब्रेक लगाता है।
स्थान: ट्रेन जहां है, वहीं रुकती है, जब तक कि कोई विशेष परिस्थिति (जैसे प्लेटफॉर्म या सुरक्षित स्थान) न हो।
ट्रेन में चेन पुलिंग केवल आपातकालीन परिस्थितियों में की जा सकती है, जैसे कि किसी यात्री की अचानक तबीयत खराब होना, ट्रेन में आग लगना, डकैती या अन्य आपराधिक गतिविधि, किसी यात्री का ट्रेन से गिरना, या तकनीकी खराबी जो यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालती हो। रेलवे नियमों के अनुसार, बिना उचित कारण के चेन खींचना गैरकानूनी है और इसके लिए जुर्माना या सजा हो सकती है। इसलिए, चेन पुलिंग का उपयोग केवल गंभीर और तात्कालिक आपात स्थिति में ही करना चाहिए।
कुल मिलाकर आप समझ सकते हैं। चेन खींचने पर किस तरह की टेक्नोलॉजी काम करती है। चेन खींचना सिर्फ एक लटकती रस्सी खींचना नहीं है। ये एक गंभीर कदम है, जो पूरी ट्रेन के एयर ब्रेक सिस्टम को प्रभावित करता है। ये साधारण दिखने वाली चेन वास्तव में एक स्मार्ट सुरक्षा सिस्टम से जुड़ी है, जो आपातकाल में ट्रेन को जल्दी रोकने के लिए डिजाइन की गई है। इसका दुरुपयोग करना अपराध है।