इसरो ने मंगलवार को कहा कि आदित्य एल-1 के पे-लोड हाई एनर्जी एल-1 आर्बिटिंगएक्स रेस्पेक्ट्रोमीटर (एचईएल1ओएस) ने सौर लपटों के आवेगपूर्ण चरण को रिकॉर्ड किया है।
देश की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला आदित्य एल-1 ने सूर्य से निकलती तेज लपटों को रिकॉर्ड किया है। सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया आदित्य एल-1 मिशन लैंग्राज-1बिंदु की ओर बढ़ रहा है और इसे जनवरी 2024 के पहले पखवाड़े में स्पेसिफिक ऑर्बिट में स्थापित करने की उम्मीद है।
इसरो ने मंगलवार को कहा कि आदित्य एल-1 के पे-लोड हाई एनर्जी एल-1 आर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर(एचईएल1ओएस) ने सौर लपटों के आवेगपूर्ण चरण को रिकॉर्ड किया है। बेंगलूरु स्थित प्रोफेसर यू.आर. राव उपग्रह केंद्र के अंतरिक्ष खगोल विज्ञान समूह द्वारा विकसित इस पे-लोड ने 29 अक्टूबर को रात लगभग 12 बजे से अगले दिन रात 10 बजे (यूटी) तक (लगभग 22 घंटे) सौर ज्वालाओं का अवलोकन किया और उसकी रिकॉर्डिंग की। इसरो ने कहा कि आदित्य एल-1 की रिकॉर्डिंग अमरीकी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के जियोस्टेशनरी ऑपरेशनल एनवायर्नमेंटल सैटेलाइट्स (जीओइएस) द्वारा दर्ज रिकॉर्डिंग के अनुरूप है।
वैज्ञानिकों को आदित्य के ऑपरेशनल होने का इंतजार
आदित्य एल-1 के लैंग्राज-1 में स्थापित होने और उसके ऑपरेशनल होने का इंतजार देश भर के खगोल वैज्ञानिक कर रहे हैं। इस सौर वेधशाला से सूर्य कॅरोना, उसके बाह्य प्रभामंडल, सूर्य के परिमंडल, सूर्य को चारों ओर से घेरे गैस के लाल मंडल (वर्णमंडल), सौर लपटों, सूर्य के चुम्बकीय क्षेत्र और उसके प्रभाव आदि का विशेष उपकरणों से अध्ययन किया जा सकेगा। लैंग्राज-1 पर स्थापित होने के बाद आदित्य की नजर से सूर्य कभी भी ओझल नहीं होगा।