Modi Cabinet: मोदी कैबिनेट में बहुत जल्द बड़ा बदलाव हो सकता है। नए राज्यपालों और उपराज्यपाल की नियुक्ति के बाद अब कैबिनेट विस्तार और फेरबदल की संभावना है। पढ़िए नवनीत मिश्र की खास रिपोर्ट...
Modi Cabinet: केंद्र सरकार गठन के एक साल तक ठहराव के बाद अब भाजपा शीर्ष नेतृत्व की ओर से रुके हुए फैसले धड़ाधड़ हो रहे हैं। चार राज्यसभा सदस्यों के मनोनयन, हरियाणा और गोवा में नए राज्यपालों और लद्दाख में उपराज्यपाल की नियुक्ति के बाद अब कैबिनेट विस्तार और फेरबदल की संभावनाओं को बल मिला है। सवाल है कि यह कैबिनेट विस्तार 21 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने से पहला होगा या फिर सत्र बीत जाने के बाद। इस बीच मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अहम बैठक हुई। हालांकि बताया गया कि इसमें संसद सत्र की रणनीति पर चर्चा हुई। सूत्रों का कहना है कि एक से अधिक मंत्रालय देख रहे कुछ मंत्रियों का भार कम करने की तैयारी है।
फेरबदल का मुख्य आधार परफॉर्मेंस, बिहार, बंगाल और यूपी जैसे चुनावी राज्यों को ज्यादा प्रतिनिधित्व और नए चेहरों के जरिए मंत्रिपरिषद को और 'युवा' बनाना है। एक साल पहले नौ जून को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 72 सदस्यीय मंत्रिपरिषद के साथ शपथ ली थी। निर्धारित सीमा के तहत अभी 9 मंत्री बनने की गुंजाइश है।
मोदी ने तीसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में अधिकतर पुराने चेहरों को रिपीट किया था। सूत्रों का कहना है कि एक साल बाद मोदी बड़े फेरबदल से बड़ा संदेश दे सकते हैं। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर हर्षवर्धन श्रृंगला के राज्यसभा भेजे जाने के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत मिल रहे हैं। भले ही मनोनीत सदस्यों के मंत्री बनाए जाने की परंपरा नहीं है, लेकिन मनोनयन के छह महीने के भीतर पार्टी का सदस्य बनने और मंत्री बनने पर कोई रोक नहीं है। एनडीए में शामिल हुए बिहार के कोईरी नेता उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा राज्यसभा भेज चुकी है और उनका मंत्रिमंडल में जाना तय माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि आदिवासी, अल्पसंख्यक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में फेरबदल हो सकता है। अन्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री स्तर पर फेरबदल संभावित है। बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी विभागों और मंत्रियों से प्रजेंटेशन लिया था। इसके आधार पर भी मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट तैयार हुई है।