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अब कम होंगे चावल दाम, मोदी सरकार ने क्या उठाया कदम

Modi government order: देश में चावल के बढ़ते दाम पर केंद्र सरकार ने चावल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी एवं उपकरण के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।  

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 modi government gave order to merchant control the rice price hike otherwise government will take strict action

देश में किसी भी प्रकार से चावल की कमी न हो इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने जुलाई में नॉन बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दी थी। लेकिन इन सब कोशिशों के बाद भी सरकार देश में चावल के बढ़ते दामों को कम नहीं कर पाई। वहीं, अब केंद्र सरकार ने चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने का निर्देश जारी किया है।

इसके साथ ही चेतावनी दी कि यदि इसमें मुनाफाखोरी की गई तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। बता दें कि देश में पिछले कुछ समय से गैर-बासमती चावल के दाम तेजी से बढ़ते जा रहे हैं जिसे लेकर सरकार के साथ ही आम लोग चिंतित है।

29 रुपये के चावल बाजार में 50 के कैसे?

देश भर में चावल के बढ़ते दाम को देखते हुए सोमवार को केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने नई दिल्ली में चावल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी एवं उपकरण के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने गैर बासमती चावल के दामों को कम करने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि देश में अच्छी क्वालिटी के चावलों का स्टॉक मौजूद है। इसे ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (OMSS) के तहत ट्रेडर्स और प्रोसेसर्स को 29 रुपये किलो में दिया जा रहा है। मगर, खुले बाजार में इसे 43 से 50 रुपये प्रति किलो के रेट से बेचा जा रहा है।

कीमत में बढ़ोतरी को गंभीरता से ले उद्योग

बैठक के दौरान संजीव चोपड़ा ने उद्योग संघों को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और तुरंत चावल की कीमतों में कमी लाने के प्रयास करें। खरीफ की अच्छी फसल, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास पर्याप्त भंडार और चावल निर्यात पर बैन होने के बाद भी गैर-बासमती चावल के दाम बढ़ रहे हैं। चावल की वार्षिक मुद्रास्फीति दर दो साल से 12 फीसदी के आसपास चल रही है।

स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स पर करें सख्त कार्रवाई

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बैठक के दौरान कहा कि बाजार में एमआरपी और रिटेल प्राइस में काफी अंतर है। उपभोक्ताओं के लिए इसे कम करना बेहद जरूरी है। स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स दाम बढ़ा रहे हैं। अगर जल्द ही हालात काबू में नहीं होते है तो ऐसे स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स की पहचान करने के साथ ही उन पर सख्त कार्रवाई करिए। सरकार किसी भी हालत में सस्ते अनाज को महंगे दाम बेचने नहीं दे सकती। बैठक के दौरान ही दिल्ली ग्रेन मर्चेंट असोसिएशन के प्रेसिडेंट नरेश गुप्ता ने कहा कि सरकार को रिटेल कीमतों पर नजर रखनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से चावल के दाम 2700 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की।

जुलाई में लगा दी थी निर्यात पर रोक

बता दें कि देश में चावल की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने जुलाई में नॉन बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दिया था। इसके साथ ही 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दी थी। सरकार की कोशिश थी कि घरेलू बाजार में चावल की कमी नहीं हो पाए। इसके बावजूद बाजार में चावल की कीमतें बढ़ती जा रही थीं। इसके बाद अक्टूबर में भी चावल का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 950 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था फिर भी हालात काबू में नहीं आए।

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