
Budget 2025: New Tax Regime
Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट 2025 पेश करने की तैयारी कर रही हैं। टैक्सपेयर्स (Taxpayers) बजट 2025 का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि एक्सपर्ट्स बजट 2025 में HRA को शामिल करने, धारा 80C कर कटौती में वृद्धि और 1 लाख रुपये की मानक कटौती (Standard Deduction) की वकालत कर रहे हैं। वर्तमान सरकार की ओर से वकालत की गई नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
केंद्रीय बजट 2020 में न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) शुरू की गई, जो मौजूदा व्यवस्था का विकल्प है। इसका उद्देश्य टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाना है। यह व्यवस्था पुरानी व्यवस्था (Old Tax Regime) में उपलब्ध कुछ छूटों और कटौतियों, जैसे कि स्टैंडर्ड डिडक्शन और गृह किराया भत्ता (HRA) को हटाने के बदले कम कर दरें प्रदान करती है।
नई कर व्यवस्था बनाम पुरानी कर व्यवस्था (New Tax Regime Vs Old Tax Regime)
वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रावधान पुरानी और नई दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत उपलब्ध हैं। दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत, पुरानी कर व्यवस्था को चुनने वाले सभी वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए, चाहे उनकी सकल वेतन आय कुछ भी हो, 50,000 रुपये की मानक कटौती की अनुमति है। यह पेंशनभोगियों पर भी लागू होता है। बता दें कि बजट 2024 में वित्तमंत्री सीतारमण ने नई कर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए मानक कटौती को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया।
आप चाहें तो वित्तीय साधनों में निवेश करके या योग्य व्यय करके अपनी कर योग्य आय (Taxable Income) को संभावित रूप से कम कर सकते हैं। इसमें अधिकतम 1.5 लाख रुपये की कटौती शामिल है। आयकर अधिनियम (Tax Act), 1961 की धारा 80c, करदाताओं के लिए अपनी कर देनदारियों को कम करने के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। यह सेक्शन बचत और निवेश के कई अवसरों को कवर करता है, जैसे कि LIC और PPF में योगदान।
टैक्सेवल इनकम (Taxable Income)
धारा 80सी के तहत, व्यक्ति और हिंदू अविभाजित फैमिली (HUFs) अपनी टैक्सेवल इनकम को कम करने वाली कटौती का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, कंपनियां, साझेदारी फर्म और लिमिटेड लियाविटीज पार्टनरशिप (LLPs) इस कटौती के लिए पात्र नहीं हैं। सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1) के तहत संयुक्त रूप से दावा की जा सकने वाली अधिकतम कटौती 1.5 लाख रुपये है। अपनी कर योग्य आय को और कम करने के इच्छुक व्यक्ति धारा 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा कर सकते हैं। इससे अतिरिक्त लाभ और टैक्सेवल इनकम में और कमी आती है।
भविष्य निधि (Provident Funds)
कर्मचारी भविष्य निधि और सार्वजनिक भविष्य निधि (Employees' Provident Fund and Public Provident Fund) जैसे भविष्य निधि में निवेश करने से भी कर योग्य आय को कम करने में मदद मिल सकती है। यह ध्यान देने योग्य है कि EPF खाते में कर्मचारी योगदान धारा 80C के तहत कटौती के लिए पात्र हैं, जबकि नियोक्ता योगदान कर-मुक्त हैं, लेकिन धारा 80सी कटौती के लिए योग्य नहीं हैं।
गृह ऋण (Home Loan)
व्यक्ति धारा 80EE के तहत गृह ऋण की मूल राशि के लिए किए गए भुगतान पर कटौती का दावा करने के पात्र हैं। यह प्रावधान बैंकों या वित्तीय संस्थानों से प्राप्त आवासीय संपत्ति ऋण के ब्याज घटक के आधार पर आयकर लाभ की अनुमति देता है। इस धारा के तहत गृह ऋण ब्याज भुगतान के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 50,000 रुपये तक की कटौती हो सकती है।
पीपीएफ (PPF)
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के अनुसार, व्यक्ति सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) में किए गए अंशदान पर कर कटौती का दावा कर सकते हैं। अधिकतम निवेश की अनुमति प्रति वित्तीय वर्ष 1.50 लाख रुपये है, जिस पर 7.1 प्रतिशत की ब्याज दर है।
करदाताओं की एक आम मांग यह है कि HRA छूट को नई कर व्यवस्था में शामिल किया जाए। वर्तमान में, यह लाभ केवल पुरानी प्रणाली के तहत ही लागू है, जिससे कर बचत होती है। छूट राशि निम्न में से सबसे कम के रूप में निर्धारित की जाती है:
वास्तविक प्राप्त HRA
बेसिक सैलरी का 50% (गैर-मेट्रो निवासियों के लिए 40%),
भुगतान किया गया किराया मूल वेतन का 10% घटाया गया।
बता दें कि विशेषज्ञों का मानना है कि इस छूट को शामिल करने से भारी आवास व्यय का सामना कर रहे करदाताओं के लिए नई व्यवस्था की व्यावहारिकता बढ़ जाएगी।
Updated on:
31 Jan 2025 11:12 am
Published on:
30 Jan 2025 02:52 pm
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