
National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रॉउज एवन्यू कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया है। इसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम भी हैं। दोनों नेताओं के खिलाफ पहली बार आरोप पत्र दाखिल हुआ है। इस मामले में कोर्ट ने आरोपों पर संज्ञान लेने की सुनवाई की तारीख 25 अप्रैल तय की है। अभियोजन पक्ष की शिकायत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 44 और 45 के तहत धन शोधन के अपराध के लिए दायर की गई है।
ईडी द्वारा दायर चार्जशीट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और सैम पित्रोदा का नाम हैं। इसके अलावा इसमें सुमन दुबे और अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे बदले की राजनीति बताया है। कांग्रेस नेता रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा पहनकर सरकार प्रायोजित अपराध है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा बदले की राजनीति और धमकी के अलावा कुछ नहीं है। कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं रहेगा।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह कांग्रेस को नष्ट करने की पीएम मोदी की साजिश है। आप ईडी से कुछ भी करवा सकते हैं और हमें इसकी परवाह नहीं है। हम बीजेपी और पीएम मोदी से नहीं डरते, हम इससे लड़ेंगे।
बता दें कि ईडी ने शनिवार को 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किया था। दरअसल ये नोटिस जिनमें परिसर खाली करने की मांग की गई थी - दिल्ली, मुंबई के बांद्रा क्षेत्र और लखनऊ में बिशेश्वर नाथ रोड स्थित एजेएल भवन में संपत्तियों पर चिपकाए गए थे।
नेशनल हेराल्ड मामला एक लंबे समय से चल रहा कानूनी और राजनीतिक विवाद है, जो नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़ा है। यह मामला 2012 में तब सुर्खियों में आया जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस नेताओं, खासकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में शिकायत दर्ज की।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना की थी। इस न्यूज पेपर को एजेएल द्वारा प्रकाशित किया जाता था। हालांकि साल 2008 में वित्तीय संकट आने के बाद इसे बंद करना पडा। इसके बाद इस विवाद की शुरुआत हुई। साल 2010 में यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएल) नाम की कंपनी बनी, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
Updated on:
16 Apr 2025 08:26 am
Published on:
15 Apr 2025 07:15 pm
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