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अब गुजरात के कच्छ में भी दौड़ेंगे चीते, बन्नी ग्रासलैंड में बनेगा प्रजनन केंद्र

Cheetahs will run in Kutch: कच्छ के बन्नी मेंचार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को केंद्रीय वन-पर्यावरण-जलवायुपरिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है।

Dec 11, 2023 / 08:52 am

Prashant Tiwari

 Now cheetahs will run in Kutch of Gujarat breeding center will be built in Banni Grassland

 

गुजरात में चीतों को बसाने की तैयारियां चल रही हैं। कच्छ के बन्नी मेंचार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चीता प्रजनन और संरक्षण केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को केंद्रीय वन-पर्यावरण-जलवायुपरिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। मध्य प्रदेश के कूनो के बाद कच्छ देश का दूसरा इलाका होगा,जहां चीते दौड़ते नजर आएंगे। गुजरात पहले से एशियाई शेरों का सबसे बड़ा घर है। गुजरात सरकार ने कच्छ में चीतासंरक्षण-प्रजनन केंद्र की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी मांगी थी। राज्य के वन-पर्यावरण मंत्री मोलुभाई बेरा ने बताया कि केंद्र की मंजूरी के बाद कच्छ में चीतों को बसाने का रास्ता खुल गया है।

चीतों के लिए बनेगा बन्नी ग्रासलैंड

जानकारी के मुताबिक चीतों के लिए कच्छ की बन्नी ग्रासलैंड पर संरक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा। बन्नी के घास के मैदानों में चीता प्रजननकेंद्र की स्थापना से पॉजिटिव नतीजे आने की उम्मीद है। मोलुभाईबेरा के मुताबिक बन्नी के घास के मैदानों में कभी तेंदुओं की बस्ती थी, लेकिन वे विलुप्त हो गए। चीता संरक्षण-प्रजननकेंद्र कार्ययोजना की जिम्मेदारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(एनटीसीए) को सौंपी गई है। वह अगले साल मार्च से निगरानी शुरू कर देगा।

 

पर्यटक आवाजाही पर रहेगा प्रतिबंध- केंद्र

जानकारी के मुताबिक बन्नी एकांत स्थान पर स्थापित किया जाएगा। यहां सख्त दिशा-निर्देशोंका पालन किया जाएगा। इलाका बाहरी व्यक्तियों और पर्यटकोंकी आवाजाही के लिए प्रतिबंधित रहेगा। बन्नी इलाके में शुष्कघास का मैदान है। इस तरह के मैदान चीतों के लिए अनुकूल आवास हैं।

दहोद-सौराष्ट्र में कभी घूमा करते थे तेंदुए

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि 1940 तक गुजरात के दाहोद और सौराष्ट्र में तेंदुए देखे जाते थे।गुजरात सरकार को चीतों को लाने से पहले ऐसी व्यवस्था करनीहोगी कि वे आसानी से शिकार कर सकें। जब भारत में चीता परियोजना शुरू की गई थी, तब पांच स्थलों की पहचान की गई थी। बन्नी के घास के मैदान इनमें से एक थे।

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