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Patrika Interview: राम मंदिर पर स्वामी रामभद्राचार्य बोले- मैं इस आनंद में डूबे रहना चाहता हूं

भगवान राम के सबसे बड़े भक्त स्वामी रामभद्राचार्य राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आह्लादित हैं, उत्साहित हैं। आइये जानते हैं पत्रिका के साथ खास बातचीत में प्रभु श्रीराम केे मंदिर को लेकर क्‍या – क्‍या कहा।

Jan 22, 2024 / 09:06 am

Shaitan Prajapat

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– आनंद मणि त्रिपाठी
राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भगवान राम के आज के सबसे बड़े भक्त स्वामी रामभद्राचार्य आह्लादित हैं, उत्साहित हैं। कहते हैं कलियुग में राम का वनवास 496 साल बाद अब पूरा हो रहा है। आजादी के 77 साल बाद आनंद का क्षण आया है, मैं इसमें डूबे रहना चाहता हूं। दृष्टिहीनता के बावजूद जैमिनीय संहिता के माध्यम से राम जन्मभूमि के स्थान के बारे में अदालत में सटीक और अहम गवाही देने वाले रामभद्राचार्य का मानना है कि देश हर साल 22 जनवरी के शुभ दिन का आध्यात्मिक स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाएगा। अयोध्या में उनसे ‘पत्रिका’ की खास बातचीत के प्रमुख अंश-


प्रश्न: रामलला आ रहे हैं कैसा अनुभव हो रहा है।

कृपासिंधु जब मंदिर गए। पुर नर नारि सुखी सब भए॥

गुर बसिष्ट द्विज लिए बुलाई। आजु सुघरी सुदिन समुदाई॥
यही भाव आज हमारे मन में भी उत्पन्न हो रहा है। मन बहुत ही मुदित है। राममय है। त्रेतायुग में वनवास 14 वर्ष में ही खत्म हो गया था लेकिन कलयुग में यह शुभ घड़ी 496 वर्ष के बाद आई है। हम हर्षित हैं। हमारे राम आए हैं। कलयुग के लिए यह तिथि दीपावली है। हर साल 22 जनवरी को हमें आध्यात्मिक स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने कभी जिस राम जन्मभूमि मंदिर को टूटते हुए देखा था हमारा सौभाग्य है कि भगवान कुश द्वारा बनवाए गए मंदिर को पुन: प्रतिष्ठित होते देख रहे हैं।

प्रश्न:अयोध्या के बाद अब आगे क्या?

राम जन्मभूमि मंदिर के साथ अ से अयोध्या पूरा हो गया है। अब इसके बाद क यानी काशी और म यानी मथुरा भी हम लेंगे। आजादी के बाद रामलता ताले में बंद किए गए। 77 साल की पीड़ा के बाद अब आनंद की अनुभूति हो रही है और मैं इस आनंद में डूबा रहना चाहता हूं।

प्रश्न: क्या हम हिंदू राष्ट्र की तरफ बढ़ रहे हैं?

देश अगर हिंदू राष्ट्र बनता है तो कोई आपत्ति नहीं है। हम तो यह भी चाहेंगे कि रामलला की कृपा से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी भारत में आए। चीन के कब्जे वाला इलाका भी हमें मिले। भारत सर्वप्रथम हो और रामचरित मानस को राष्ट्रग्रंथ घोषित किया जाए।

प्रश्न: शंकराचार्य और अन्य राजनीतिक विवादों को कैसे देखते हैं।

सात जगद्गुरु होते हैं, कार्यक्रम में छह आ रहे हैं। शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभाचार्य और चैतन्यमहाप्रभु सभी समान हैं। जो विवाद खड़ा कर रहे हैं उनके लिए बस यही कहा जा सकता कि विनाश काले विपरीत बुद्धि।

प्रश्न:प्राण प्रतिष्ठा सही समय कब है?

बहुत ही पावन समय में प्रतिष्ठा हो रही है। दोपहर 12.29 बजे त्रेता युग की छाया पड़ रही है। सब उत्तम है…वैसे भी तुलसीदास जी ने लिखा है…
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल

प्रश्न:अयोध्या के बाद देश का स्वरूप कैसा रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ता रहेगा। वह 2024 में भी पीएम बने रहेंगे। देश को लाल बहादुर शास्त्री के बाद साधु आचरण का दूसरा गृहस्थ प्रधानमंत्री मिला है।

प्रश्न:नई पुरानी मूर्ति को लेकर भ्रम हो रहा है।

कोई भ्रम नहीं है। पुरानी मूर्ति का गर्भगृह प्रवेश हो रहा है और नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। उसमें भगवान बाल रूप में थे। इसमें पांच साल बड़े हो गए हैं। भक्तों का मन राम को धनुषबाण में शौर्यवान देखना चाहते थे तो भगवान अब उस रूप में अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।

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