चार हजार वयस्का के डेटा का भी अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 6 महीने से 7 साल की उम्र के करीब 12,400 बच्चों के सोने के पैटर्न का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि जिन बच्चों को कम नींद आती थी, उनमें बड़े होकर साइकोसिस होने का खतरा चार गुना ज्यादा पाया गया। इसके साथ ही 24 साल की उम्र के 4,000 वयस्कों के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि बचपन में नींद पूरी न होने से बड़े होकर मानसिक परेशानी की शिकायत मिली, लेकिन इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले कि इसके लिए नींद की कमी ही जिम्मेदार है।
सामान्य बात है, लंबे समय समस्या रहे तो डॉक्टर को दिखाएं
बचपन में नींद पूरी न होना सीधे तौर पर बड़े होकर मानसिक बीमारी का कारण नहीं बनता है, लेकिन यह इसकी एक वजह जरूर हो सकता है। बचपन में नींद की समस्या होना सामान्य बात है, लेकिन अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो यह चिंता का विषय है। इस बारे में चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।