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रायबरेली व अमेठी कर रहे प्रियंका-राहुल का इंतजार, अनिर्णय की स्थिति से कांग्रेस के लिए हो सकती है मुश्किल

Lok Sabha Elections 2024 : रायबरेली से सोनिया गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं, ऐसे में रायबरेली के लोग नए प्रत्याशी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वहीं पिछले चुनाव में अमेठी गंवा चुके राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर भी अब तक फैसला नहीं हुआ है। पढ़िए डॉ.संजीव मिश्र की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीApr 11, 2024 / 11:46 am

Shaitan Prajapat

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Lok Sabha Elections 2024 : रायबरेली में कचहरी रोड स्थित डिग्री कॉलेज चौराहा चटख धूप में भी गुलजार है और लोग चाय के साथ चुनावी चटकारे ले रहे हैं। एक आवाज आती है, ‘कुछ तय भा, को लड़ी चुनाव… तो जवाब आता है, ‘प्रियंका दीदी के अलावा और कउन है। एक युवा बोलता है, रायबरेली ही नहीं, अमेठी भी राहुल भैया को बुला रही है। रायबरेली के चौराहों व चाय की दुकानों पर ऐसी चर्चाएं आम हैं, किंतु इन्हीं चर्चाओं के बीच साफ कहा जा रहा है कि रायबरेली व अमेठी से अब तक प्रत्याशी की घोषणा न कर कांग्रेस अनर्थ कर रही है। कांग्रेस के सामने उत्तर प्रदेश में अस्तित्व बचाने का संकट है और पार्टी अनिर्णय की स्थिति में रहकर मुसीबत बढ़ा रही है।

सोनिया गांधी इस बार नहीं लड़ रही हैं चुनाव

विधानसभा में सिर्फ दो विधायकों वाली कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ रायबरेली सीट जीत सकी थी। रायबरेली से सोनिया गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं, ऐसे में रायबरेली के लोग नए प्रत्याशी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वहीं पिछले चुनाव में अमेठी गंवा चुके राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर भी अब तक फैसला नहीं हुआ है। अमेठी व रायबरेली के कांग्रेसी चाहते हैं कि यहां से गांधी परिवार का नाता न टूटे। भले ही अमेठी से राहुल हार गए थे, किंतु वहां के कांग्रेसी राहुल के ही फिर चुनाव लडऩे के पक्षधर हैं। इसी तरह रायबरेली के लोग तो खुल कर प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं।


दूसरे दलों से आए लोगों को दिया मौका

कांग्रेस में दूसरे दलों से आए लोगों को भी खूब मौका मिल रहा है। 17 में से जिन 14 सीटों पर प्रत्याशी घोषित हुए हैं, उनमें बसपा से आए दानिश अली अमरोहा से, सपा से आए इमरान मसूद सहारनपुर से, भाजपा से आए राकेश राठौर सीतापुर से और बसपा से आए सदल प्रसाद प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे और वह स्वयं भाजपा से विधायक रह चुके हैं। इनके अलावा झांसी से प्रदीप जैन आदित्य, देवरिया अखिलेश प्रताप सिंह, महाराजगंज से वीरेंद्र चौधरी, बुलंद शहर से शिवराम वाल्मीकि, मधुरा से मुकेश धनगर, गाजियाबाद से डॉली शर्मा, बाराबंकी से तनुज पुनिया, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार और कानपुर से आलोक मिश्रा प्रत्याशी बनाए गए हैं। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ समझौते के तहत चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को 17 सीटों पर चुनाव लड़ना है।

कांग्रेस का लगातार खराब प्रदर्शन

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में लगातार खराब प्रदर्शन की है। 2004 में नौ सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2009 में 21 सीटों तक पहुंची थी, किंतु 2014 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो सीटों, अमेठी व रायबरेली में सिमट गई।

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