हैरानी ये कि ऐसे लोगों के घरों में निगम ने न तो उस राशि से रेनवाटर हार्वेस्टिंग लगवाने में कोई रुचि नहीं दिखाई और न ही वर्षा जल का संरक्षण कराना ही उचित समझा। यही वजह है कि गर्मी के दिनों में जलस्तर साल-दर-साल रसातल में जा रहा है। निगम मुख्यालय में बुधवार को हुई नगरीय नियोजन एवं भवन अनुज्ञा विभाग सलाहकार समिति की बैठक में निगम के अफसरों ने ये आंकड़े पेश किए।
निगम में इस विभाग के एमआईसी सदस्य मनोज वर्मा ने अधिकारियों से कहा कि अब हर दिन कम से कम 10 घरों का सर्वे कराएं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है कि नहीं। बैठक में समिति के सदस्य पार्षदों के अलावा अपर आयुक्त पंकज के. शर्मा, उपायुक्त डॉ अंजलि शर्मा, नगर निवेशक आभाष मिश्रा, जोन कमिश्नरों, कार्यपालन अभियंताओं की पूरी टीम मौजूद थी।
विभाग की सलाहकार समिति की बैठक में यह भी सामने आया कि नगर निवेश विभाग द्वारा 2019 से 25 फरवरी 2025 तक 329 अवैध प्लाटिंग के प्रकरणों में मुरुम रोड काटने की कार्रवाई है। ऐसी जगहों पर अवैध प्लाटिंग का सूचना बोर्ड भी लगाया। लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसी सभी अवैध प्लाटिंग का कारोबार तेजी से फलता-फूलता रहा है। अवैध प्लाटिंग का दायरा जोनों की मिलीभगत से ही तेजी से राजधानी के हर क्षेत्र में बढ़ा है।
नगर निगम के नियम के अनुसार 150 वर्गमीटर से अधिक वाले सभी भूखंडों के मकानों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है। इसके लिए जो राशि जमा कराई जाती है, वह लगाने पर निगम रिफंड करता है। लेकिन किसी न तो लगवाया और न नहीं निगम में जमा राशि लेने आया। जबकि 150 वर्गमीटर से अधिक के भूखण्डों में लगाना अनिवार्य है। जो आंकड़ा पेश किया गया है, वह चौंकाने वाला है। 1 अप्रेल 2017 से 31 मार्च 2025 तक 6270 आवासीय प्रकरणों में 13 करोड़ 68 लाख 39 हजार 184 रुपए और 961 व्यावसायिक प्रकरणों में 10 करोड़ 20 लाख 9007 रुपए कुल 23 करोड़ 88 लाख 48 हजार 191 रुपए लोगों ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगवाने के नाम पर निगम के कोष में जमा किए गए हैं। परंतु लोगों न तो लगवाया और न ही उस राशि को वापस लिया।
Published on:
18 Jun 2025 11:46 pm