आरोपी महिला विदेश में रहती थी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह पाया कि आरोपी महिला यानी ननद अपनी भाभी के साथ उस घर में नहीं रहती थी। दरअसल महिला विदेश में रहती थी। अदालत ने पाया कि भाई की पत्नी यानी भाभी ने महिला द्वारा अपने ऊपर की गई क्रूरता का कोई विशेष साक्ष्य नहीं पेश कर पाई। पीठ ने कहा कि महिला के भाई ने 2022 में ही अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था और उसके खिलाफ उसकी भाभी के आरोप बहुत अस्पष्ट और सामान्य थे।
क्या कहता दहेज निषेध अधिनियम?
दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार दहेज लेने या देने या इसके लेनदेन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के अन्तर्गत पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि लड़की को स्त्रीधन सौंपने से मना करने पर धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों हो सकता है।
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