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पटाखों पर रोक किसी समुदाय के खिलाफ नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जान की कीमत पर जश्न कैसे मनाने दें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिससे कि इस आदेश को लागू किया जा सके। पीठ ने कहा कि आज भी पटाखे बाजार में खुलेआम उपलब्ध हैं। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हम यहां लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं। हमने पटाखों पर शत प्रतिशत प्रतिबंध नहीं लगाया है

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Dheeraj Sharma

Oct 28, 2021

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पटाखों ( Firecracker ) पर रोक लगाना किसी समुदाय या किसी समूह विशेष के खिलाफ नहीं है। इस धारणा को दूर करते हुए कोर्ट ने कहा कि आनंद की आड़ में वह नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन की इजाजत नहीं दे सकता है।

जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने साफ किया कि वे चाहते हैं कि कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जाए।

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पटाखों की बिक्री पर लगे प्रतिबंध के उल्लंघन के मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, 'आनंद करने की आड़ में आप (पटाखा उत्पादक) नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं।

हम किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं हैं। हम कड़ा संदेश देना चाहते हैं कि हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां पर हैं।'

कोर्ट ने यह भी कहा कि पटाखों पर रोक का पहले का आदेश व्यापक रूप से कारण बताने के बाद दिया गया था। ये रोक सभी पटाखों पर नहीं लगाई गई है। यह व्यापक जनहित में है।

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खुलेआम बिक रहे पटाखे
कोर्ट ने कहा कि उन अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए, जिन्हें आदेश को जमीनी स्तर पर लागू करने का अधिकार दिया गया है। बेंच ने कहा कि आज भी पटाखे बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं।
बता दें कि पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर पूरी तरह रोक है. कोर्ट ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए देशभर में पटाखों के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया था।