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biggest personal Library: 64 वर्ष पहले 100 किताबों से शुरुआत, आज 1.25 लाख पुस्तकों का है खजाना

Asia biggest personal Library: तमिलनाडु के सेवानिवृत्त शिक्षक बी. कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी दोरोती कृष्णमूर्ति ने मिलकर एशिया का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय बनाने का गौरव हासिल किया है।

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प्रसिद्ध लेखक जोसेफ एडिसन ने कहा था कि पुस्तकें वह विरासत हैं जो मानव जाति के लिए एक महान प्रतिभा छोड़ती हैं जो पीढ़ी से पीढ़ी तक उन लोगों तक पहुंचाई जाती हैं और जो अभी तक जन्मे नही हैं। शायद जोसेफ एडिसन के इन वक्तव्यों से प्रेरित होकर तमिलनाडु के सेवानिवृत्त शिक्षक बी. कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी दोरोती कृष्णमूर्ति ने पुदुकोट्टई के तिरुकोकर्णम में ऐसा पुस्तकालय खड़ा कर दिया जिसे एशिया का सबसे बड़ा निजी पुस्तक संग्रह होने का गौरव प्राप्त है। ज्ञानालय रिसर्च लाइब्रेरी नाम से मशहूर करीब 1,25,000 पुस्तकों वाला यह पुस्तकालय इस दंपती के जीवनभर का प्रयास है।

दुर्लभ किताबों और पांडुलिपियों का संग्रह

कृष्णमूर्ति ने बताया कि 1959 में शुरू हुए पुस्तकालय में साहित्य, इतिहास, विज्ञान, चिकित्सा और पौराणिक कथाओं से जुड़ी अनेकों किताबें हैं। कई दुर्लभ पत्र-पत्रिकाओं का संग्रह भी है। इससे कई शिक्षाविद और लेखक लाभान्वित हुए हैं। यह शोधार्थियों के लिए भी वरदान से कम नहीं है। यहां रूस और जापान के लोग भी शोध संबंधी काम के लिए आते हैं।

लोगों की मदद के लिए की गई शुरुआत

82 वर्ष के हो चुके कृष्णमूर्ति ने बताया कि पुस्तकालय की शुरुआत नागरकोइल और मदुरै से चेन्नई की कनिमरा लाइब्रेरी जाने वालों की दूरी कम करने के लिए की गई थी। उनके पास शुरुआत में केवल 100 किताबें थीं लेकिन आज सवा लाख पुस्तकें हैं। इनमें 90 हजार तमिल की दुर्लभ पुस्तकें, अप्रकाशित पांडुलिपियां, दुर्लभ प्रथम संस्करण और 1920 की तमिल साहित्यिक पत्रिकाओं की प्रतियां शामिल हैं।

पिता से मिला पुस्तकें जुटाने का शौक

कृष्णमूर्ति का कहना है कि पुस्तकों के प्रति उनका जुनून उन्हें पिता से विरासत के तौर पर मिला। जब हम यात्रा करते हैं तो किताबें एकत्र करते हैं। कई लोग किताबें दान भी करते हैं। पुस्तकालय छह दशक की कड़ी मेहनत का नतीजा है। हमें खुशी है कि यहां कई लोगों को मदद मिलती है।

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