बीजेपी विधायक नितेश राणे ने रजा अकादमी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा कि अगर महाराष्‍ट्र की ठाकरे सरकार रजा अकादमी पर एक्शन लेने की मांग की थी। अब उन्होंने सोमवार को नांदेड़ पुलिस में रजा अकादमी और राज्य सरकार के सहयोगी अर्जुन खोतकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है। रजा अकादमी का इतिहास क्या है? और क्यों भाजपा इसे बैन करने की मांग कर रही है?
त्रिपुरा में हिंसा के बाद महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर के सदर इलाके और मालेगांव में 12 नवंबर को हिंसा देखने को मिली। इस हिंसक घटना में 1 दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिसमें 4 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इस हिंसक घटना को लेकर भाजपा ने महाराष्ट्र सरकार को दोषी ठहराया और रजा अकादमी को इसके लिए जिम्मेदार बताया। इसके साथ ही रजा अकादमी के इतिहास को देखते हुए इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है। रजा अकादमी का इतिहास क्या है? और क्यों भाजपा इसे बैन करने की मांग कर रही है? इसे समझने के लिए हम पहले ये जान लेते हैं कि ये रजा अकादमी है क्या।
क्या है रजा अकादमी?
दरअसल, रजा अकादमी की स्थापना अलहज मोहम्मद सईद नूरी ने 1978 में की थी। इस अकादमी का नाम बरेली से आने वाले धार्मिक गुरु इमाम अहमद रजा खान के नाम पर रखा गया था। अभी तक ये अकादमी उर्दू, अरबी, हिंदी और अंग्रेजी में कई इस्लामी विषयों की किताबें प्रकाशित कर चुकी है। इन किताबों के माध्यम से ये अकादमी मुस्लिम धर्म से जुड़ी बातें पूरी दुनिया तक पहुंचाती है। इसके साथ ही मदरसे और दीन से जुड़ी किताबों का ट्रांसलेशन भी करती है। हालांकि, ये अकादमी एक एजुकेशन सोसाइटी थी, पर धीरे-धीरे से एक सोशल ऑर्गेनाइजेशन बन गई और हर मुद्दे पर अपनी राय रखने लगी जो मुसलमानों से जुड़े होते हैं। इसका नाम तब सबसे अधिक चर्चा में आया था जब मुंबई के आजाद मैदान में दंगे हुए थे।
रजा अकादमी से जुड़ा मुंबई के आजाद मैदान का विवाद?
11 अगस्त 2012 को रजा अकादमी ने दो अन्य संगठनों के साथ मुंबई के आज़ाद मैदान में असम में हुए दंगों और म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। ये विरोध प्रदर्शन बड़ी हिंसा में बदल गया था, जिसमें दो लोग मारे गए और 50 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इसके अलावा कई मीडियाकर्मी भी घायल हुए थे, जबकि आगजनी में कई वाहन तक फूंक दिए गए। मुंबई पुलिस का इस घटना में अनुमान था कि ढाई करोड़ से ज्यादा की निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। उस समय सत्ता में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार थी। तब इस हिंसा के लिए रजा अकादमी को जिम्मेदार ठहराया गया था जिसके बाद अकादमी के प्रवक्ता मोहम्मद सइद नूरी ने इस घटना पर खेद जताते हुए माफी मांगी थी, और हिंसा में किसी भी तरह की भूमिका से इंकार किया था।
2006 भिवंडी मामले में भी रजा अकादमी का नाम
साल 2006 में मुंबई के भिवंडी क्वार्टर गेट मस्जिद के सामने खाली जमीन पर निजामपुरा पुलिस स्टेशन बनाया जा रहा था। इस निर्माण कार्य से नाराज रजा अकादमी के शहर अध्यक्ष मोहम्मद युसूफ ने इसका विरोध किया था। मोहम्मद युसूफ को भिवंडी मामले में मुख्य आरोपी भी करार दिया गया और वो बाद में गिरफतार भी हुए। मोहम्मद युसूफ पर आरोप था कि उसने निर्माण कार्य को धार्मिक रंग देकर भीड़ को उकसाया और पुलिस स्टेशन पर पत्थरबाजी करवाई थी, जिसमें तत्कालीन पुलिस उपायुक्त आर.डी शिंदे समेत कुल 39 पुलिस जवान घायल हो गए थे। इसी दौरान अपने बचाव में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें कुछ आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। तब तो सब शांत हो गया था, परंतु रात में फिर से भीड़ ने हमला किया और 2 पुलिसकर्मियों की हत्या कर गई। इस हमले में 5 से 6 बसों को आग के हवाले भी कर दिया गया था।
रजा अकादमी का डबल्यूएचओ को पत्र
ये दो बड़े मामले ऐसे हैं जिसको लेकर रजा अकादमी विवादों के घेरे में रही है। हालांकि, इसके अलावा कई ऐसे मामले हैं, जिसको लेकर समय-समय पर रजा अकादमी पर सवाल उठे हैं। वर्ष 2016 में इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक पर बैन लगाने का विरोध किया गया था। ये वही जाकिर नाइक है जो भारत के खिलाफ अपने बयानों के कारण चर्चा में रहा है और फिलहाल मलेशिया में है। गृह मंत्रालय ने भी इस पर कहा था कि नाइक भारत और विदेशों में एक खास धर्म के युवाओं को आतंकवादी कृत्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
सऊदी अरब में सिनेमा हाल खुलने का विरोध करना हो या फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष के बयान के खिलाफ फतवा जारी करने की मांग हो, कई बार रजा अकादमी खबरों में रही है। इसके अलावा मुहम्मद पैगम्बर बिल पास करने की मांग भी रजा अकादमी सभी राज्य सरकारों से कर चुकी है। कोरोना की वैक्सीन को लेकर भी रजा अकादमी चर्चा में रही थी। रजा अकादमी ने WHO को पत्र लिखा था और कहा था कि पहले सरकार या वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ये बताए कि वैक्सीन में क्या-क्या मिलाया गया है? इसके बाद ही वो मुस्लिम समाज के लोगों को वैक्सीन लेने के लिए कहेंगे।
फेक न्यूज करार दिए जाने के बाद भी विरोध क्यों ?
अब जब त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में निकाली गई रैलियों के दौरान महाराष्ट्र के कई शहरों में पथराव हुआ तो एक बार फिर से ये अकादमी सुर्खियों में आ गई। इसके बाद बीजेपी विधायक नितेश राणे ने रजा अकादमी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा कि अगर महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार रजा अकादमी पर एक्शन नहीं लेती है, तो महाराष्ट्र के हित में हमें उन्हें खत्म करना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने सोमवार को नांदेड़ पुलिस में रजा अकादमी और राज्य सरकार के सहयोगी अर्जुन खोतकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है।
हालांकि, यहाँ सवाल ये उठता है कि जब सरकार और स्थानीय प्रशासन ने 29 अक्टूबर को ये घोषणा कर दी थी कि त्रिपुरा के गोमती जिले के काकराबन इलाके की जिस मस्जिद के जलाए जाने की अफवाह उड़ाई गई हैं, उस मस्जिद को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है, और ये एक फेक न्यूज थी। ऐसे में 12 नवंबर को उसी मामले को लेकर विरोध क्यों किया गया?
सवाल ये भी उठते हैं कि त्रिपुरा और महाराष्ट्र की दूरी करीब 3 हजार किलोमीटर है, इसके बावजूद त्रिपुरा की फेक न्यूज़ पर महाराष्ट्र में कई दिनों बाद दंगे होने के पीछे कोई साजिश तो नहीं थी? ये सवाल सोशल मीडिया पर आम जनता भी पूछ रही है। हालांकि, इस मामले की जांच के बाद ही सब साफ हो जाएगा कि आखिर मसला क्या है, परंतु एक और हिंसक घटना में रजा अकादमी का नाम आने से इस पर बैन लगाने की मांग भाजपा कर रही है। हालांकि, अब कांग्रेस रजा अकादमी के बचाव में उतरी है और बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कर रही है।