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एनसीसी कैडेट्स के खोले जाएंगे जीरो बैलेंस खाते

- एनसीसी महानिदेशालय ने किया एसबीआई के साथ करार - सिंगल विंडो एनसीसी इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर भी किया लॉन्च

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एनसीसी कैडेट्स के खोले जाएंगे जीरो बैलेंस खाते

एनसीसी कैडेट्स के खोले जाएंगे जीरो बैलेंस खाते

नई दिल्ली। राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट्स को सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना का लाभ पहुंचाने के लिए एनसीसी महानिदेशालय ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत एसबीआई की "पहली उड़ान" स्कीम के तहत डेबिट कार्ड, चेकबुक और पासबुक सुविधा के साथ सभी एनसीसी कैडेटों के जीरो बैलेंस खाते खोले जाएंगे। योजना से हर साल लगभग पांच लाख कैडेट्स लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर राजनाथ ने सिंगल विंडो एनसीसी इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर भी लॉन्च किया।

सरकार की डीबीटी पहल के तहत रक्षा मंत्रालय ने यूनिफॉर्म वितरण प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निर्बाध बनाने के लिए एनसीसी कैडेटों के बैंक खातों में वर्दी भत्ते का प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण करने का फैसला किया था। यह वर्दी खरीद की मौजूदा केंद्रीय खरीद और वितरण प्रक्रिया का स्थान लेगा। एनसीसी यूनिफॉर्म के प्रावधान के लिए वर्दी भत्ता अब देश के दूरदराज हिस्सों में रहने वाले कैडेटों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाएगा।

इस अवसर पर रक्षामंत्री ने एनआईसी और डीबीटी के जरिए एनसीसी के डिजिटलीकरण के प्रयासों के लिए एनसीसी, बीआईएसएजी और एसबीआई के अधिकारियों की सराहना की। कार्यक्रम में रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने व एनसीसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह के साथ कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

प्रक्रिया को डिजिटल कर देगा सॉफ्टवेयर

राजनाथ ने इससे पहले एनसीसी के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के एक प्रमुख कदम के रूप में एनसीसी इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर लॉन्च किया। भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लिकेशन और जियो इंफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी) के साथ साझेदारी में विकसित यह सॉफ्टवेयर 'एंट्री टू एग्जिट मॉडल' पर डिजाइन किया गया सिंगल विंडो इंटरैक्टिव सॉफ्टवेयर है। यह एनसीसी कैडेट के रूप में नामांकनसे लेकर पूर्व छात्र के रूप में एक्जिट पंजीकरण तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल कर देगा। इससे प्रमाणपत्रों को निर्बाध रूप से जारी करने व रोजगार के समय एनसीसी कैडेटों का एक अखिल भारतीय डेटाबेस तैयार करने में मदद मिलेगी।