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नई दिल्ली

मेनका को रोकने के लिए इंडिया गठबंधन और बसपा ने बिछाए कांटे

-सुल्तानपुर में कड़े मुकाबले में फंसी गांधी परिवार की छोटी बहू

नई दिल्लीMay 24, 2024 / 11:34 am

Shadab Ahmed

सुल्तानपुर से शादाब अहमद

रायबरेली व अमेठी से सटी है सुल्तानपुर लोकसभा सीट। सुल्तानपुर पर गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी का दबदबा है। वे दूसरी बार लगातार इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में है। सुल्तानपुर से होकर निकल रही गोमती नदी जितनी सर्पिलाकार है, वैसा ही मेनका गांधी का चुनाव भी है। मेनका 2019 की तरह एक बार फिर कड़े मुकाबले में फंसी हुई है। इस बार उनकी टक्कर में इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामभुआल निषाद से हैं। पिछली बार दूसरे नंबर पर रही बसपा इस बार मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में सफल होती दिख रही है।
सबसे मजेदार बात यह है कि उत्तर प्रदेश की अन्य लगभग सभी सीटों पर भाजपा खुले तौर पर हिन्दू-मुसलमान के मुद्दे उठाकर ध्रुवीकरण करने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं इससे उलट सुल्तानपुर में मेनका इससे बचने में लगी हुई है। असल में मेनका को बड़ी संख्या में मुसलमान पसंद करने के साथ वोट करते हैं। मेनका उनका समर्थन खोना नहीं चाहती है। पिछले चुनाव में मेनका नजदीकी मुकाबले में महज 15 हजार से कम वोटों से चुनाव जीती थी। यही वजह है कि मेनका अपने भाषणों में साफ कह भी रही है कि हिन्दू-मुसलमान क्या होता है?
राम मंदिर भी कोई मुद्दा नहीं है। इस यात्रा के दौरान मुझे एक बात और साफ दिखी कि शहरी इलाकों में अब भी मोदी नाम की गूंज सुनाई दे रही है, लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की बस्ती में यह गूंज कमजोर होती दिखी। जहां संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने पर चर्चा सहज ही सुनने को मिल रही है। मैंने अपनी चुनावी यात्रा सुल्तानपुर के बस स्टैंड पर ई-रिक्शा चलाने वाले अब्दुल माजिद से बातचीत से शुरू की। उन्होंने विकास के नाम पर शहर में बने डिवाइडर और खस्ताहाल सडक़ बता कर किया।
चाय की दुकान पर राजेन्द्र मोर्य कहने लगे कि इस बार तो रायबरेली और अमेठी का असर सुल्तानपुर में भी दिखेगा। राहुल गांधी को जिताना है, जिसके चलते सपा को वोट देंगे। पलटन बाजार में सुब्हान खां कहने लगे कि मेनका किसी के काम में भेदभाव नहीं करती है। यही वजह है कि उन्हें सब धर्म और जाति के लोग पसंद करते हैं। यहां से बंधुआ कलां गांव में रामसहाय गुप्ता अपने बंद पंखे को बताकर कहने लगे कि बिजली आवत-जावत रही है। सडक़ बिल्कुल टूटी हुई है। पांच किलो अनाज तो मिलता है, लेकिन इससे क्या फायदा है। हमें तो अपने बच्चों के लिए रोजगार चाहिए। वहीं इसी गांव के रामविश्वास मौर्य कहने लगे कि सरकार अच्छा काम कर रही है। राम मंदिर बनाया है और गुंडागर्दी समाप्त कर दी है। मुलायम सिंह सरकार में रामभक्तों पर गोलियां चल चुकी है। हमने सुना है कि कांग्रेस सरकार में आई तो राम मंदिर को भी तोड़ सकते हैं।
इसी गांव की गृहणी मिथलेश गुप्ता ने कहा कि पांच किलो अनाज मिलता है। उज्ज्वला योजना में गैस सिलेंडर का फायदा भी मिला है। मोदी जी ने राम मंदिर बनवाया है, जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा। उन्होंने जनता का भला किया है तो अब जनता उनका भला करेगी। वहीं लंबुआ में मिठाई की दुकान चला रहे युवा राकेश श्रीवास्तव कहने लगे कि वे इलाहबाद में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। यह सरकार नौकरी देने में विफल हुई है। मेरे परिवार के लोग भले ही मंदिर देखकर वोट डालें, लेकिन मैं रोजगार की बात करने वाले को अपना वोट दूंगा। इस बार ‘मास चेंज’ देखने को मिलेगा। उधर, इसोली कस्बे में संजय पाठक, इस्लाम उद्दीन, फकीर अहमद समेत कई अन्य लोगों से चर्चा की तो वे कहने लगे कि इस बार बदलाव होकर रहेगा।

सपा का गहरा दांव

सपा ने मेनका को उनकी सीट पर पराजित करने के लिए गहरा दांव चला है। अब तक निषाद जाति के लोग बड़ी संख्या में भाजपा को वोट करते रहे हैं। भाजपा से सपा में आए रामभुआल निषाद को चुनाव में उतारकर भाजपा के परंपरागत वोटों में सेंधमारी की रणनीति खेली है। राम भुआल दो बार विधायक और बसपा सरकार में राज्यमंत्री रहे हैं। बसपा ने कुर्मी नेता उदराज वर्मा को उम्मीदवार बनाकर पिछड़े का कार्ड खेला है।

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