कवायद: ...ताकि खत्म हो नकदी संकट
मुंबई. बैंकों में नकदी की कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने बैंकिंग व्यवस्था में 1.10 लाख करोड़ रुपए से अधिक डाले हैं। यह आरबीआइ की ओर से 24 अप्रेल 2019 के बाद बैंकिंग सिस्टम में डाली गई सबसे बड़ी नकद धनराशि है। लोन की मांग 16 फीसदी बढऩे और जमा केवल 10.1 फीसदी बढऩे से पहले से ही भारतीय बैंक नकदी संकट से जूझ रहे हैं। कंपनियों की ओर से एडवांस टैक्स जमा करने से भी बैंकिंग व्यवस्था से उल्लेखनीय रूप से नकदी निकली है, साथ ही 20 मार्च को जीएसटी भुगतान की तिथि भी है। इस वजह से बैंकों में नकदी घटी है।
16 मार्च तक बैंकिंग व्यवस्था में 1.10 लाख करोड़ रुपए कम नकदी थी, जो अप्रेल 2022 में 7.40 लाख करोड़ रुपए सरप्लस थी। नकदी की कमी के कारण बैंकों की ओर से बाजार से धन जुटाने की दरों में तेज बढ़ोतरी हुई है। इंटरबैंक कॉल मनी रेट 6.80 फीसदी के उच्च स्तर पर है। यह 6.50 फीसदी रेपो रेट व 6.75 फीसदी मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट से भी ज्यादा है। एमएसएफ रेट ब्याज दर की सबसे ऊपरी सीमा है, जिस पर बैंक उधार लेते हैं। कॉल रेट में बढ़ोतरी से बैंक की उधारी लागत में बढ़ोतरी होती है।
सतर्कता जरूरी
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, वैश्विक बैंकिंग संकट का भारत पर असर नहीं पड़ेगा। भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत व स्थिर बनी रहेगी, पर सतर्कता जरूरी है।
52,000 करोड़ रोज खींच रहा था
महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआइ 15 मार्च, 2023 तक बैंकिंग व्यवस्था से हर दिन औसतन 52,000 करोड़ रुपए नकदी खींच रहा था। रिजर्व बैंक की ओर से बैंकिंग व्यवस्था से धन खींचने का असर भी बैंकों के पास पड़ी नकदी पर पड़ा।