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‘हिंसा-टकराव से समस्याओं का समाधान नहीं, परस्पर संवाद एकमात्र मार्ग’

लोक सभा अध्यक्ष ने महावीरायतन फाउंडेशन के ‘संवाद से समाधान-एक परिचर्चा’ में लिया भाग

मुंबई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भगवान महावीर की शिक्षाएं केवल धार्मिक सिद्धांत नहीं हैं, बल्कि एक समग्र जीवन शैली है जो वैश्विक सद्भाव, आत्ममंथन और नैतिक आचरण को बढ़ावा देती है। हिंसा और टकराव से हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। इसके बजाय, परस्पर सम्मान पर आधारित शांतिपूर्ण संवाद ही आगे बढऩे का एकमात्र मार्ग है।

बिरला ने यह बातें महावीरायतन फाउंडेशन में ‘संवाद से समाधान- एक परिचर्चा ’ में भाग लेते हुए कही। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने अपना संदेश 2,500 साल पहले दिया था, परंतु उनकी शिक्षाएं आज भी सभी समुदायों पर गहरा प्रभाव छोड़ रही हैं। अहिंसा, करुणा और आत्म-अनुशासन के उनके सिद्धांत आधुनिक समय के संघर्षों से निपटने में लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। बढ़ते संघर्ष और अस्थिरता से प्रभावित विश्व में, संवाद की प्रासंगिकता पहले कभी इतनी अधिक नहीं रही जितनी अब है। ‘संवाद से समाधान’ का संदेश केवल दार्शनिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक और अनिवार्य भी है। बिरला ने जोर दिया कि हमें स्वतंत्रता 1947 में प्राप्त हुई थी, लेकिन भारत में लोकतंत्र सदियों से चला आ रहा है। भारत ने लोकतंत्र को कहीं बाहर से नहीं लिया बल्कि इसे आम सहमति, सार्वजनिक चर्चा और समुदाय के नेतृत्व वाले शासन की प्राचीन परंपराओं से विरासत में प्राप्त किया और इसका पोषण किया।

स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत ने लोकतंत्र को अपनाने का साहसिक और दृढ़ निर्णय लिया जो एक ऐसा निर्णय था जिसने देश की नियति को दिशा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि "लोकतंत्र भारत की आत्मा है।" बिरला ने उस भावना की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत में लोकतांत्रिक संस्थाएं चर्चा, सहयोग और समायोजन के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित हैं। इस अवसर पर महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, सांसद मिलिंद देवड़ा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।