बाड़मेर-बालोतरा जिले में बने 2 लाख 80 हजार टांके, किसानों और पशुपालकों को मिला पानी
बाड़मेर, जल व पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। केन्द्र व प्रदेश की विभिन्न योजनाओं में टांकों का निर्माण करवाने व चारागाह विकसित करने पर अब ग्रामीण बड़ी राहत महसूस कर रहे है। सरकार के इन प्रयासों से बाड़मेर, बालोतरा जिले में पेयजल समस्या का काफी हद तक हल हुआ है। चारागाह विकसित होने पर पशु चराई को लेकर पशुपालकों को राहत मिल रही है।
पूर्व के वर्षों में सरकार के शुरू की मनरेगा योजना व जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग के चारागाह योजना बाड़मेर, बालोतरा जिले के ग्रामीणों, किसानों व पशुपालकों के लिए वरदान साबित हुई है। जानकारी अनुसार बीते दशकों में दोनों ही जिलों में 2 लाख 80 हजार टांके बने हैं। टांका निर्माण के लिए योजना में 3 लाख खर्च होते हैं। इसमें से 1 लाख 20 हजार निर्माण सामग्री मद व शेष 1 लाख 80 हजार रुपए श्रमिक मद पर खर्च होते हैं। इससे टांका स्वीकृत परिवार को जहां रोजगार मिलता है, वहीं पानी उपलब्ध होने पर परेशानियों से छुटकारा। इनमें जमा पानी पूरे वर्ष के लिए पर्याप्त होने पर इन्हें किसी प्रकार की दिक्कतें नहीं उठानी पड़ती है। ग्राम पंचायत केरावा के ग्राम सूरा नरपतान में पाशल नाडी के पास 37.12 लाख रूपये की लागत से 5 हैक्टेयर में निर्मित चारागाह में पौधे लहलहा रहे है। इसमें नीम, सरेस, गूंदा आदि विभिन्न किस्मों के लगाए दो हजार पौधे अच्छी हालत में है। यह अब पेड़ का रुप ले रहे है। बरसात के दिनों में इसमें घास खूब पनपती है। इससें स्थानीय चरवाहों को पशुओं की चराई के लिए आसानी से घास मिलती है। इससे पशुओं की चराई को लेकर इन्हें भी पहले जितनी परेशानियां नहीं होती है। इस पर अब यह भी बड़ी राहत महसूस कर रहे है।
समस्या का स्थाई समाधान हो गया
पहले पानी को लेकर पूरे वर्ष परेशानी का सामना करते। पानी के लिए कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर जाना पड़ता। लेकिन महानरेगा में टांका निर्माण पर पानी समस्या का स्थाई समाधान हो गया है। अब किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती। योजना आम ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
पनाराम, ग्रामीण बिशाला