
सुप्रीम कोर्टः निजता और संपत्ति के स्वतंत्र उपयोग के अधिकार का मामला
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट हाल ही अपने एक फैसले में कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि किसी भी मकान के रिहायशी हिस्से में रहने वाले सभी लोगों की सहमति के बिना सीसीटीवी कैमरे लगाना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। यह मामला दो भाइयों के बीच का था, जिनमें से एक ने साझा मकान में कैमरे लगाए थे, जबकि दूसरे ने इसका विरोध किया।
हाईकोर्ट जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और जस्टिस उदय कुमार की खंडपीठ ने माना था कि बेशकीमती वस्तुओं की सुरक्षा के नाम पर भी किसी की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। अदालत ने के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार मामले का हवाला देते हुए कहा था कि निजता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा है, जिसे किसी भी परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने इस फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी और रिहायशी हिस्से में लगाए गए पांच सीसीटीवी कैमरों को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को भी सही ठहराया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना सहमति लगाए गए कैमरे न केवल निजता बल्कि संपत्ति के स्वतंत्र उपयोग के अधिकार का भी हनन हैं।
Published on:
13 May 2025 04:06 pm
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