एक परिवाद 20 सितम्बर, 2004 को बांसवाड़ा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से पेश किया गया। सीएमएचओ ने एक नीम-हकीम की 25 अप्रेल, 2004 को उसकी क्लिनिकल प्रैक्टिस को लेकर जांच की। उसके पास उपचार करने का कोई वैध दस्तावेज नहीं मिला था। जो दस्तावेज मिले थे, उनके संबंध में कोई जानकारी विभाग को भी नहीं दी गई।
बांसवाड़ा•Sep 08, 2024 / 12:46 am•
Ashish vajpayee
Hindi News / News Bulletin / 20 साल बाद फैसला, फर्जी ‘डॉक्टर’ को 3 साल की सजा और 6 हजार रुपए जुर्माना