6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस मंदिर की तांत्रिक विधि से हुई थी स्थापना, अनोखी है यहां गणेश जी की मूर्ति

अनोखे मंदिर की तांत्रिक विधि से हुई थी स्थापना, अनोखी है यहां गणेश जी की मूर्ति

3 min read
Google source verification

भोपाल

image

Tanvi Sharma

Nov 14, 2018

garh ganesh mandir

गणेश जी को प्रथमपूज्य देवता कहा जाता है। इनकी पूजा अर्चना से घर में सभी विघ्न दूर होते हैं। शादी की पत्रिका सबसे पहले गणेश जी के चरणों में रखी जाती है, कहा जाता है की मांगलिक कार्यों में गणेश जी की कृपा सर्वप्रथम आवश्यक होती है। गणेश जी के देशभऱ में कई मंदिर है और सभी में वे सूंड के साथ विराजमान हैं। लेकिन राजस्थान में गजानन महाराज का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां गणपतिजी बिना सूंड के विराजमान हैं। क्योंकि यहां उनके बाल रुप की पूजा की जाती है। मंदिर में बुधवार के दिन बड़ी संख्या में श्रृद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते हैं। देशभर से यहां लोग गजानन महाराज के दर्शन के लिए आते हैं।

गणेश जी का यह अनोखा मंदिर राजस्थान के जयपुर में स्थित है। यह मंदिर गढ़ गणेश के नाम से प्रसिद्ध है। जयपुर के उत्तर दिशा में यह मंदिर अरावली की उंची पहाड़ी पर मुकुट के समान नज़र आता है। जयपुर में स्थित गणेश जी के प्राचीन मंदिर में गणेश जी की पुरुषाकृति में प्रतिमा विराजमान है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है, मंदिर तक जाने के लिए लगभग 500 मीटर की चढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। प्रसिद्ध गैटोर की छतरियां तक निजी साधन से पहुंचने के बाद यहां के लिए चढ़ाई शुरू होती है। मंदिर इतनी उंचाई पर बसा हुआ है जहां पहुंचने के बाद जयपुर की भव्ययता देखते ही बनती है। गढ़ गणेश मंदिर से पूरा शहर नजर आता है। यहां से पुराना शहर पूरा नजर आता है। एक तरफ पहाड़ी पर नाहरगढ, दूसरी तरफ पहाड़ी के नीचे जलमहल, सामने की तरफ शहर की बसावट का खूबसूरत नजारा यहां से देखा जा सकता है। बारिश में यह पूरा इलाका हरियाली से आच्छादित हो जाता है।

जयपुर के संस्थापक ने कराई थी मंदिर की स्थापना

यहां मंदिर में मौजूद मूर्ति की तस्वीर लेना प्रतिबंधित है। यह मंदिर जिस पहाड़ी पर स्थित है उसकी तहलटी में ही अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन हुआ था। इस मंदिर में प्रसाद चढ़ाते समय गणेशजी के मंत्रों का भी उच्चारण किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन यहां पर भव्य मेला आयोजित होता है। मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया। सवाई जयसिंह द्वितीय ने जयपुर में अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था। इस दौरान तांत्रिक विधि से इस मंदिर की स्थापना कराई थी।

गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण खास तरह से कराया गया है। पूर्व राजपरिवार के सदस्य जिस महल में रहते है उसे चंद्र महल के नाम से जाना जाता है। यह सिटी पैलेस का हिस्सा है। चंद्र महल की उपरी मंजिल से इस मंदिर में स्थापित मूर्ति के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि पूर्व राजा-महाराजा गोविंददेवजी और गढ़ गणेश जी के दर्शन करके अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे। मंदिर में दो बड़े मूषक भी हैं, जिनके कान में दर्शनार्थी अपनी मन्नत मांगते हैं।

कैसे पहुंच गढ़ गणेश मंदिर

सड़क से: गढ़ गणेश मंदिर ब्रह्मपुरी जयपुर के पास स्थित है और शहर के बाहरी इलाके में गेटर रोड पर स्थित है। यह जयपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी की दूरी पर है और बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।

रेल द्वारा : जयपुर, जयपुर रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जो प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, आगरा, मुंबई, चेन्नई, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, अहमदाबाद रेलवे स्टेशनों से भी जुड़ा हुआ है।

हवाई यात्रा से: गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर हवाई अड्डे के जरिए पहुंचा जा सकता है, जिसे संगनेर हवाई अड्डे भी कहा जाता है जो दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, जोधपुर और उदयपुर से नियमित डोमेस्टिक उड़ानों के साथ भलीभांति जुड़ा हुआ है।