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बनास नदी के सीने पर सैकड़ों डीजल पंप, पानी चोरी कर दे रहे जख्म

भीलवाड़ा बनास नदी का नाम आते ही मन में प्रवाहित जलधारा का दृश्य घूमने लगता है। एक समय जो सदानीरा नदी के रूप में जानी जाती थी। अब उस बनास नदी में सदा नहीं, बस बरसात में ही पानी नजर आता है। यह पावन नदी आज खुद प्यासी नजर आती है। जहां रेत के अतिदोहन […]

भीलवाड़ाJun 08, 2024 / 09:02 pm

Suresh Jain

टैंकर चालक प्रोसेस हाउस को करते है पानी की आपूर्ति

टैंकर चालक प्रोसेस हाउस को करते है पानी की आपूर्ति

भीलवाड़ा बनास नदी का नाम आते ही मन में प्रवाहित जलधारा का दृश्य घूमने लगता है। एक समय जो सदानीरा नदी के रूप में जानी जाती थी। अब उस बनास नदी में सदा नहीं, बस बरसात में ही पानी नजर आता है। यह पावन नदी आज खुद प्यासी नजर आती है। जहां रेत के अतिदोहन से नीचे की चट्टानें निकली आई। वहीं लोगों की प्यास बुझाने के लिए बने कुएं मीनार की तरह नजर आने लगे हैं।
कभी लोगों की प्यास बुझाने के लिए भीलवाड़ा में फैली बनास नदी में सैकड़ों कुएं थे। जिनसे जलदाय विभाग आस-पास के गांवों पानी की सप्लाई करता था। लेकिन अब नहीं कर रहा है। लेकिन इन कुओं में डीजल पंप लगाकर टैंकर में अवैध जल भरकर उसे प्रोसेस हाउसों तक पहुंचाने का काम कर रहे है। ऐसा ही नजारा बुधवार को राजस्थान पत्रिका की टीम ने हमीरगढ़ स्थित बनास नदी में देखा। जहां दर्जनों डीजल पंप पानी निकालने के लिए बनास नदी में लगा हुए नजर आए। एक कुएं से टैंकर चालक पानी भर रहा था। जब उसका कैमरे में फोटो लिया गया तो वह मौके से भाग छूटाबजरी के लिए बनास नदी का सीना छलनी
बनास नदी से बजरी निकालने के लिए बजरी माफियाओं ने नदी का सीना छलनी कर दिया है। अब वहा केवल पत्थर नजर आते है। इसके अलावा 15 से 20 फीट गहरे गड्ढे भी हो रहे है। इनमें अब बजरी छोड़ पानी तक नहीं है।
480 किलोमीटर लम्बी बनास नदी

बनास नदी राजस्थान में 480 किमी का चक्र पूरा करती है। बनास नदी राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ के पास खमनोर की पहाड़ियों से शुरू होकर नाथद्वारा, राजसमंद, भीलवाड़ा, त्रिवेणी, टोंक, सवाई माधोपुर होते हुए रामेश्वरम त्रिवेणी के करीब चंबल में जाकर मिलती है। इसकी लंबाई 480 किमी है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुंध शामिल है।
नदी में लगा रखे जगह-जगह डीजल पंप

हमीरगढ़ स्थित बनास नदी में जगह-जगह अवैध रूप से डीजल पंप लगा रखे है। इन पंपों के माध्यम से टैंकर चालक पानी के टैंकर भरकर आस-पास के प्रोसेस हाउसों को सप्लाई करते है। एक प्रोसेस हाउस में प्रतिदिन 2 से 3 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जिसकी पूर्ति बनास नदी से हो रही है। कई कुओं से तो सीधी पाइप लाइन तक बिछा रखी है। इसकी जानकारी जल संसाधन उपखंड मांडल व भीलवाडा के उच्च अधिकारियों को होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।लाखों लीटर पानी का अवैध दोहन
जल संसाधन विभाग के ही एक कर्मचारी का कहना है कि बनास नदी में सैकड़ों जगह अवैध कुए खोद रखे तो कई जगह डीजल पंप लगा रखे है। अधिकारी इनकी कभी जांच तक नहीं करते है। इन पंप के माध्यम से रोजाना लाखों लीटर पानी की चोरी हो रही है।

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