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जानें, वैशाख पू र्णिमा काे क्यों होती है वन्यजीव गणना

दूसरा कारण है पूर्णिमा को चांद की चांदनी रहती है, इसमें वन्य जीव दूर से बिना कृत्रिम लाइट के आसानी से नजर आ जाते हैं। इसलिए वैशाख पू​र्णिमा को वन्यजीवों की गणना की जाती है। इसे बुद्ध पू​र्णिमा व पीपल पू​र्णिमा भी कहा जाता है।

झुंझुनूMay 21, 2024 / 10:40 pm

Rajesh

jhunjhunu news wild life census 2024

पर्यावरणविद डॉ रविकांत शर्मा

Wild Life Census वन्य जीवों की गणना हर साल वैशाख पू​र्णिमा को ही क्यों होती है? यह सवाल लाखों लोगों के जेहन में रहता है। आज हम एक्सपर्ट के हवाले से आपको बता रहे हैं कि आ​खिर वैशाख पू​र्णिमा को वन्य जीवों की गणना करने के पीछे क्या-क्या कारण हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि राजस्थान में वन्य जीवों की गणना वाटर हॉल पद्धति से की जा जाती है। पर्यावरणविद एवं वन्यजीवों पर पीएचडी कर चुके शेखावाटी के डॉ रविकांत शर्मा के अनुसार वैशाख पूर्णिमा पर वन्य जीवों की गणना करने के दाे प्रमुख कारण हैं। पहला, अमूमन इस समय गर्मी ज्यादा पड़ती है, इसलिए वन्य जीव चौबीस घंटे में कम से कम एक बार पानी पीने जरूर आते हैं। वहां बैठे कर्मचारी इसकी गणना करते हैं। अब तो अनेक जगह ट्रेप कैमरे भी लग गए, उसमें भी वन्यजीवों की गतिविधि कैद हो जाती है। दूसरा कारण है पूर्णिमा को चांद की चांदनी रहती है, इसमें वन्य जीव दूर से बिना कृत्रिम लाइट के आसानी से नजर आ जाते हैं। इसलिए वैशाख पू​र्णिमा को वन्यजीवों की गणना की जाती है। इसे बुद्ध पू​र्णिमा व पीपल पू​र्णिमा भी कहा जाता है।

राजस्थान में इन जीवों पर रहेगी खास नजर

गोडावण, बाघ, पैंथर, चिंकारा, हिरण

झुंझुनूं@पत्रिका. वैशाख पूर्णिमा पर वन्यजीव गणना 23 मई को सुबह आठ बजे से 24 मई को सुबह आठ बजे तक होगी। इस दौरान वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी जिले में 66 केन्द्रों(वाटरहॉल्स) पर वन्य जीवों की गणना करेंगे। इसके लिए वाटर हॉल्स चिन्हित कर लिए गए हैं। उप वन संरक्षक बीएल नेहरा ने बताया कि जिले में वन्यजीणों की गणना की पूरी तैयारी कर ली गई है। कई जगह कैमरों से भी निगरानी की जाएगी।

दो साल पहले थे नौ पैंथर, इस बार संख्या बढ़ेगी

आखिरी वन्य जीव गणना वर्ष 2022 में हुई थी। 2023 में वन्य जीवों की गणना ही नहीं कराई गई। वर्ष 2022 में जब वन्य जीवों की गणना हुई थी तब खेतड़ी व उदयपुरवाटी में पैंथरों की दहाड़ सुनाई दी गई थी। दोनों जगह कुल नौ पैंथर दिखाई दिए थे। इसके बाद इनका कुनबा बढ़ा है। कई मादा पैंथर बच्चों को जन्म दे चुकी। इसके अलावा रेस्क्यू किए गए कई पैंथरों को भी खेतड़ी व उदयपुवाटी में छोड़ा गया है। ऐसे में तय है कि पिछली बार से ज्यादा पैंथर नजर आएंगे।

यह नजर आए थे पिछली बार

पिछली गणना में खेतड़ी-बांशियाल क्षेत्र के उसरिया के नीमलाजोहड़ में लगाए गए ट्रैप कैमरे में पैंथर की तस्वीरें कैद हुई थी। वन्यजीव गणना में क्षेत्र में पैंथर 4, सियार 910, जरख 42, जंगली बिल्ली 97, मरु बिल्ली 11, बिल्ली 67, लोमड़ी 249, मरु लोमड़ी 5, भेडिय़ा 2, बिज्जू 68, नीलगाय 1945, चिंकारा 239, सेही 133, मोर 2113, साण्डा 13, काला तीतर 912 सहित 6851 वन्यजीव मिले थे। उदयपुरवाटी क्षेत्र के मनसा माता, पौंख, खोह, कोट बांध और भोजगढ में रात्रि में पेंथर देखे गए थे। गणना में पैंथर 5, गीदड़ 60 नर व 141 मादा, जरख नर 10 व मादा 20, भेडि़या 8 नर व 15 मादा, सांभर 4 नर व 10 मादा तथा 150 मोर 283 मोरनियां देखी गई।

इस बार 2024 में कहां कितने केन्द्र बनाए

झुंझुनूं 14

चिड़ावा 8

नवलगढ़ 7

खेतड़ी 20

उदयपुरवाटी 17

कुल 66

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