यह भी पढ़ें-
स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया ‘ऑपरेशन कोरोना स्टॉप’, घर-घर होगी जांच दरअसल, नोएडा इंटरनेशनल एयपोर्ट के करार के लिए ज्यूरिख कंपनी के सात प्रतिनिधि भारत पहुंच चुके हैं, जिन्हें गुरुग्राम के एयरो सिटी में ठहराया गया है। 7 अक्टूबर को एक बजे से पहले कंपनी के प्रतिनिधि ग्रेटर नोएडा स्थित नियाल के कार्यालय पहुंचेंगे। जहां 29,500 करोड़ के प्रोजेक्ट पर करार किया जाएगा। इस करार के लिए कंपनी ने यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. के नाम से स्पेशल परपज व्हीकल (SPV) कंपनी भी गठित की है। उसके सीईओ और नियाल के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह करार पर हस्ताक्षर करेंगे।
यहां बता दें कि ज्यूरिख कंपनी के साथ होने वाला यह करार करीब छह माह पहले ही होना था, लेकिन कोरोना वायरस का असर योगी सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्राजेक्ट पर भी पड़ा। इस महामारी के कारण जहां दुनियाभर की अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद रहीं। वहीं भारत के साथ ही स्विट्जरलैंड ने भी विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लगा रखा था। इस कारण ज्यूरिख कंपनी के अधिकारी जेवर एयरपोर्ट के लिए करार पर हस्ताक्षर करने नहीं आ पा रहे थे।
योगी सरकार मात्र तीन साल में पहुंची करार तक जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की घोषणा 2004 में की गई थी, लेकिन उसके बाद कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 में इस परियोजना को रद्द कर दिया था। मार्च 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आते ही फिर से जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए प्रयास शुरू हो गए। इसके बाद केवल तीन साल में यह प्रोजेक्ट करार तक जा पहुंचा है। बता दें कि जिस तेज गति से यह प्रोजेक्ट करार तक पहुंचा है, वह भी अपने आपमें एक रिकॉर्ड है। बता दें कि नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बनना है। एयरपोर्ट पर छह से आठ रनवे होंगे।