कोरोना से बचाव उपायों की अनदेखी चिंताजनक
- देश में सात दिन के आधार पर कोरोना संक्रमण के दैनिक औसत मामले लगातार चौथे दिन बढ़े हैं।
- महाराष्ट्र के अमरावती में तो लॉकडाउन की वापसी की नौबत आ गई है।

कोरोना को लेकर बरती जाने वाली एहतियात में ढिलाई ने वैक्सीन लगने की खुशियों के बीच चिंता बढ़ा दी है। करीब तीन माह बाद यह पहला मौका है जब देश में सात दिन के आधार पर कोरोना संक्रमण के दैनिक औसत मामले लगातार चौथे दिन बढ़े हैं। महाराष्ट्र में तो कोरोना की वापसी के साथ हालत चिंताजनक हो रही है। बड़ी चिंता इस बात की है कि संक्रमण के मामले कम होने का सिलसिला टूटने लगा है। महाराष्ट्र के अमरावती में तो लॉकडाउन की वापसी की नौबत आ गई है।
अमरावती, अकोला और यवतमाल में कोरोना के नए स्ट्रेन को तो और भी आक्रामक बताया जा रहा है। राजस्थान में भी कोरोना संक्रमण के मामलों में एकाएक बढ़ोतरी नजर आई है। कोरोना वैक्सीन जब से लगनी शुरू हुई है, लोग शायद यह मान बैठे हैं कि अब कोरोना की विदाई भी होने को है। विश्व स्वास्थ्य संंगठन और महामारी विशेषज्ञों की उस चेतावनी की ओर लोगों का ध्यान हट गया दिखता है, जिसमें कहा गया था कि अभी कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी। यह बात सच है कि लंबे समय के लॉकडाउन के दौर के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना भी जरूरी था। इसीलिए धीरे-धीरे सरकारों ने भी प्रतिबंधात्मक उपायों में शिथिलता देनी शुरू कर दी थी, लेकिन संक्रमण से बचाव के उपायों को लेकर बेपरवाही ने ही संक्रमण की राह फिर खोलने का काम किया है। एक्टिव केस कम होने की बजाय बढ़ते
रहे, तो संक्रमण का खतरा बढ़ेगा ही। देश में त्योहार व चुनावों का मौसम हमेशा रहता है। नेताओं ने तो जैसे भीड़ जुटाने को ही अपना धर्म मान लिया है। मास्क कहीं मजबूरी में, तो कहीं लापरवाही से पहना जा रहा है। जो संक्रमण से बच गए, वे भी खुशी में बेपरवाह हो इस बात से अनजान बन रहे हैं कि बचाव उपाय नहीं अपनाए गए तो फिर से परेशानी का दौर आते देर नहीं लगेगी। ऐसे में असली जिम्मेदारी लोगों की ही है।
संक्रमण के मजबूत सुरक्षा कवच बने मास्क को कहीं मजबूरी की तरह, तो कहीं लापरवाही से पहने हुए देखा जा सकता है। ऐसे में जब सरकारेें स्कूल-कॉलेज से लेकर सिनेमा हाल और सार्वजनिक परिवहन के साधनों को खोलती जा रही है, बचाव को लेकर अनदेखी खतरा बढ़ाने वाली हो सकती है। यह सही है कि कोरोना को लेकर लोगों में अनावश्यक भय भी दूर करना चाहिए, लेकिन मास्क न पहनने और बचाव के अन्य तरीकों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।
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