
Ukraine
यूक्रेन को लेकर अमरीका और रूस की तनातनी ने दुनिया में एक और युद्ध का खतरा खड़ा कर दिया है। अमरीका के बाद ब्रिटेन ने भी रूस को धमकाना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन की यह ताजा घोषणा आग में घी डालने जैसी है कि वह अगले हफ्ते यूरोप में कुछ कूटनीतिक और सैन्य कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है कि उनका देश नाटो के तहत बाल्टिक और पूर्वी यूरोप में तैनात अपने सैन्य दल को दोगुना करेगा। जाहिर है, यह तैयारी रूस के खिलाफ है। ब्रिटेन और कनाडा, यूक्रेन को हथियार और युद्ध का सामान पहले से दे रहे हैं, अमरीका भी 20 करोड़ डॉलर की सुरक्षा सहायता की घोषणा कर चुका है। साफ है कि अमरीका व उसके सहयोगी देश यूक्रेन को युद्ध का नया अखाड़ा बनाने पर आमादा हैं।
उकसावे की इस कार्रवाई की शुरुआत रूस ने की थी, जब उसने यूक्रेन की सीमाओं पर अपने एक लाख से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए थे। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कह रहे हैं कि यूक्रेन पर हमले की कोई योजना नहीं है, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि क्रीमिया पर कब्जे के बाद से ही रूस की नजरें यूक्रेन पर हैं। पश्चिमी देश यूक्रेन को नाटो समूह में शामिल करना चाहते हैं।
रूस नहीं चाहता कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अलग देश बना यूक्रेन किसी भी कीमत पर पश्चिमी देशों के हाथों में जाए। वर्चस्व बनाए रखना ही यूक्रेन को लेकर चल रही रस्साकशी की असली जड़ है। अमरीका और रूस के बीच इसी तरह की वर्चस्व की लड़ाई अफगानिस्तान को तबाह कर चुकी है। सीरिया में भी दोनों महाशक्तियां वर्चस्व का खेल दिखाती रही हैं। वहां भी कई बेकसूरों की जान गई और एक बड़ी आबादी पलायन के लिए मजबूर हुई।
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सबसे बड़ा खतरा दुनिया के दो खेमों में बंटने का है। यूक्रेन के मुद्दे ने इसके लिए जमीन तैयार कर दी है। चीन ने रूस के समर्थन के संकेत देकर मामले को और गंभीर बना दिया है। जैसे यूक्रेन पर रूस अपना दबदबा चाहता है, चीन ने उसी तरह के अतिक्रमण के मंसूबे ताइवान को लेकर पाल रखे हैं। इन मंसूबों को भांपकर अमरीका को चेतावनी देनी पड़ी है कि चीन, यूक्रेन के मुद्दे को ताइवान से जोडऩे की कोशिश न करे।
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चीन जैसा अलोकतांत्रिक देश अगर रूस से नजदीकियां बढ़ाता है, तो बाकी दुनिया के साथ-साथ यह भारत के लिए भी खतरे की घंटी है। रूस-चीन गठबंधन, रूस से भारत के दशकों पुराने दोस्ताना रिश्तों को प्रभावित कर सकता है। यूक्रेन के मुद्दे पर भारत अब तक तटस्थ रहा है, पर अमरीका और रूस के तनाव को कम करने के लिए यदि वह कोई पहल कर सकता है, तो फौरी तौर पर इस दिशा में सक्रियता दिखाई जानी चाहिए।
Updated on:
31 Jan 2022 01:31 pm
Published on:
31 Jan 2022 01:30 pm
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