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PATRIKA OPINION जम्मू-कश्मीर की बेहतरी के रास्ते खोलेंगे चुनाव

यह भी सच है कि अंकुश से बौखलाए आतंकी संगठन चुनाव के दौरान सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए खास सावधानी भीआवश्यक है। लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान से एक दिन पहले आतंकियों ने शोपियां में एक नेता की हत्या कर दी थी। इसके अलावा पहलगाम में एक दंपती को निशाना बनाया गया। इन घटनाओं को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम बहुत आवश्यक हैं।

जयपुरJun 09, 2024 / 08:53 pm

Gyan Chand Patni

करीब छह साल से निर्वाचित सरकार का इंतजार कर रहे जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव चिह्नों के आवंटन के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों से आवेदन मांगे हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया था।
राजनीतिक दलों ने प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव कराने की मांग की थी, लेकिन आयोग ने सुरक्षा बलों की उपलब्धता का हवाला देकर इसे मंजूर नहीं किया। अब आयोग की तैयारियों से लगता है कि जम्मू-कश्मीर में सितंबर तक विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो सकती है। अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगी। इसे ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीखों का ऐलान किए जाने के आसार हैं। इस घोषणा के साथ ही वहां चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जम्मू-कश्मीर में तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। आतंकवाद पर काफी हद तक अंकुश के बाद वहां की जनता स्थायी अमन-चैन चाहती है। वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ मुख्यधारा में लौटने की पक्षधर है। वह दौर हवा हुआ, जब आतंकी संगठनों की धमकियों के कारण लोग मतदान केंद्रों तक आने से कतराते थे।
इस बार लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की पांच सीटों पर 58.58 फीसदी रेकॉर्ड मतदान वहां के लोगों में लोकतंत्र के प्रति बढ़ते भरोसे का संकेत देता है। कभी प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक ताकत रही पीडीपी एक भी सीट नहीं जीत सकी। यही हाल कांग्रेस का रहा। करीब 90 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने का संदेश स्पष्ट है कि अब जम्मू-कश्मीर की जनता को भरमाया या बरगलाया नहीं जा सकता। वह अपने हितों को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो चुकी है। वह समझ चुकी है कि उसकी बेहतरी के रास्ते लोकतंत्र बहाली से ही निकलेंगे।
इसके बावजूद यह भी सच है कि अंकुश से बौखलाए आतंकी संगठन चुनाव के दौरान सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए खास सावधानी भीआवश्यक है। लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान से एक दिन पहले आतंकियों ने शोपियां में एक नेता की हत्या कर दी थी। इसके अलावा पहलगाम में एक दंपती को निशाना बनाया गया। इन घटनाओं को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम बहुत आवश्यक हैं। सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि पाकिस्तान परस्त आतंकियों को सिर उठाने का मौका नहीं मिल सके।

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