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भारी न पड़ जाए वीआरएस पर लगी रोक हटाना

चिकित्सकों को पर्याप्त सुविधाएंदी जाएं, ताकि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी न रहे

May 17, 2022 / 08:05 pm

Patrika Desk

भारी न पड़ जाए वीआरएस पर लगी रोक हटाना

भारी न पड़ जाए वीआरएस पर लगी रोक हटाना

राजस्थान सरकार ने डॉक्टरों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम-वीआरएस) पर लगी रोक को हटा लिया है। दरअसल, सरकार बार-बार के वीआरएस आवेदनों से तंग आ चुकी थी। चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा का कहना है कि जो सरकारी सेवा में रहना ही नहीं चाहते, उन्हें जबरन रोके रखने का कोई फायदा नहीं है। यहां देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस कार्ययोजना बनाई है या यह निर्णय भी डेपुटेशन खत्म करने और बिना तैयारियों के सम्पूर्ण नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था लागू करने के समान अव्यवस्था फैलाने वाला साबित होगा।
राज्य में वर्तमान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत करीब 10 हजार और चिकित्सा शिक्षा विभाग में करीब 2००० चिकित्सक शिक्षक सेवारत हैं। सरकार की रोक के बावजूद कई डॉक्टर वीआरएस के लिए कई दूसरे रास्ते भी अपनाते रहे हैं। इनमें लोकसभा या विधानसभा चुनाव के समय चुनाव लडऩे की मंशा या स्वास्थ्य संबंधी कारण आदि मुख्य हैं। अब वीआरएस की संख्या बढ़ती है, तो सरकार और मरीजों के लिए मुश्किलें भी खड़ी हो सकती हैं। हालांकि चिकित्सा मंत्री मीणा का यह भी कहना है कि प्रदेश में अब नए मेडिकल कॉलेज खुलते जा रहे हैं। कुछ ही वर्षों में यह संख्या 30 से भी अधिक हो जाएगी। डॉक्टरों की अब कमी नहीं रहने वाली है, जो जाना चाहते हैं वे जाएं। कई डॉक्टर तो सेवानिवृत्ति के बाद भी काम करना चाहते हैं। इसीलिए सरकार ने सेवानिवृत्ति की आयु भी बढ़ाई है।
डॉक्टरों के सरकारी नौकरी छोड़कर जाने के पीछे मुख्य रूप से तीन कारण बताए जाते रहे हैं। पहला काम व उन्नति के बेहतर मौके तलाशना, दूसरा अपना खुद का अस्पताल या क्लीनिक शुरू करना और तीसरा अधिक वेतन-भत्तों के लिए निजी अस्पतालों को चुनना। सुविधाओं के अभाव के कारण गांवों में जाकर सेवाएं देने से भी डॉक्टर कतराते नजर आते हैं। डॉक्टरों की मांग और आपूर्ति में बढ़ रहा अंतर एक गंभीर समस्या है। एेसे में राज्य सरकार को व्यापक दृष्टि से देखना होगा कि डॉक्टरों को सरकारी नौकरी में काम व प्रोन्नति के बेहतर अवसर मिलें, अच्छे वेतन-भत्ते के साथ गांवों में कार्यरत चिकित्सकों को पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाएं, ताकि वे सरकारी नौकरी में रहते हुए मानवता की सेवा कर सकें। (सं.कौ.)

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