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रेलवे अफसरों का ट्रेनों में सफर सराहनीय पहल

रेल यात्रा के दौरान आने वाली परेशानियों और शिकायतों को दूर करने के लिए रेलवे अफसरों के यात्रियों के साथ सफर करने की पहल स्वागत योग्य है। रेलवे ने अपने समस्त जोन को, जो निर्देश दिए हैं उसके मुताबिक रेलवे अफसर अब रेल कोच में यात्रियों के साथ सफर करेंगे। इसमें संदेह नहीं कि पिछले […]

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रेल यात्रा के दौरान आने वाली परेशानियों और शिकायतों को दूर करने के लिए रेलवे अफसरों के यात्रियों के साथ सफर करने की पहल स्वागत योग्य है। रेलवे ने अपने समस्त जोन को, जो निर्देश दिए हैं उसके मुताबिक रेलवे अफसर अब रेल कोच में यात्रियों के साथ सफर करेंगे। इसमें संदेह नहीं कि पिछले वर्षों में भारतीय रेलवे ने यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी के साथ-साथ वंदेभारत जैसी अधिक सुविधाजनक ट्रेनों का संचालन भी किया है। तेज रफ्तार वाली रेलगाडिय़ों से यात्रियों का सफर भी आसान और समय की बचत करने वाला हुआ है। फिर भी यात्रियों को टिकट लेने से लेकर सफर के दौरान खान-पान की व्यवस्था तक की शिकायतें बनी रहती है। सोशल मीडिया पर यात्री अपनी परेशानियों का जिक्र करते भी रहते हैं।
भारतीय रेलवे नेटवर्क दुनिया के विशाल नेटवर्क में से एक है। प्रतिदिन लाखों यात्री रेलवे में सफर करते हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के बाद स्टेशनों व ट्रेन कोच काफी साफ रहने लगे हैं। ऐसे में रेल यात्रियों की शिकायतें भी अपेक्षाकृत कम रहती हैं। फिर भी कभी एसी कोच का एसी काम नहीं करने, ट्रेनों में देरी व खान-पान दूषित होने को लेकर शिकायतें आती रहती है। आरक्षित श्रेणी के रेलवे कोच में तो यात्री अपनी परेशानियों का जिक्र वहां मौजूद टीटी से कर देते हैं लेकिन सामान्य श्रेणी में परेशानियों की सुनवाई में देर हो ही जाती है। इसी तरह रेलवे कोच में शौचालय साफ-सुथरे न होने, चार्जिंग पाइंट काम नहीं करने, पानी की उपलब्धता आदि ऐसे विषय हैं जिनसे यात्री दो-चार हों तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर से उस वक्त जब सफर के दौरान छोटे-छोटे बच्चे भी साथ हों।
रेलवे को टिकट आरक्षण को लेकर आने वाली परेशानियों के समाधान की दिशा में भी काम करना चाहिए। क्योंकि यह शिकायत रहती है कि तत्काल व सामान्य टिकट बुक कराते वक्त आइआरसीटीसी की वेबसाइट, मोबाइल एप व टिकट खिड़की तक परेशानी होती है। हालांकि रेलवे अपने ऑनलाइन टिकट सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी बताता रहा है। यह सही है कि पीक सीजन में तत्काल टिकट के ऑनलाइन सिस्टम में काफी लोग ऑनलाइन टिकट के प्रयास में रहते हैं। ऐसे में सभी को टिकट उपलब्ध होना भी संभव नहीं। फिर भी रेलवे अधिकारी जब यात्रियों के साथ कोच में सफर करें तो उन्हें इस बात की पूछताछ भी करनी चाहिए कि ऑनलाइन टिकट आरक्षित कराते वक्त उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि रेलवे अफसर यात्रियों के साथ कोच में सफर करेंगे तो यात्रियों की समस्याओं को नजदीकी से देख पाएंगे। लेकिन रेलवे का यह प्रयास सिर्फ कुछ दिनों का अभियान ही बनकर नहीं रह जाए, इसे भी सुनिश्चित करना होगा। सेवा व सुविधाओं की गुणवत्ता बनाए रखकर ही रेलवे का सफर और आसान हो सकेगा।