पहला जीका मरीज 22 सितंबर को मिला। पूरे 26 दिन में आंकड़ा सौ हो गया। आपकी कृपा से डेढ़ सौ, दो सौ भी हो जाएंगे। क्या फर्क पड़ता है। चुनाव सिर पर हैं। वो ज्यादा जरूरी हैं। आपका भविष्य इस पर टिका है। जनता का क्या है? जो जन्मा है सो मरेगा भी। बीमार पड़ा है, तो उसके कर्मों का फल भोग रहा है। 2013 में उसने काम ही ऐसा किया था। आप और आपकी टीम को चुन लिया था। अब भुगत रहा है तो क्या गलत कर रहा है? इसमें सरकार का क्या दोष?
धिक्कार है ऐसे सिस्टम पर। जो 26 दिन में यह तय नहीं कर पाया कि मच्छर किस दवा से खत्म होंगे। लार्वा पर नियंत्रण कैसे होगा। किस दवाई का छिडक़ाव करना है, वह है भी या नहीं? फोगिंग के लिए मशीनें और स्टाफ है कि नहीं? अधिकारियों को तो यह भी नहीं मालूम कि किस क्षेत्र में कितने रास्ते हैं। कहां कचरा है, कहां पानी सड़ रहा है, नालियां उबाल मार रही हैं। फिर पांच साल से अधिकारी क्या कर रहे हैं। कभी अपने कैबिनों से निकलकर देखा कि शहर जी रहा है या मर रहा है। इनका नसीब देखिए! जीका को भी अभी आना था। अपना टिकट पक्का करें या मर्ज का इलाज ढूढ़ें।
तीन माह बाद नहीं आ सकता था? अभी तो सरकार सहित पूरा अमला मंदिरों में ढोक देता फिर रहा है। और नेता हैं कि आकाओं (टिकट बांटने वालों) को ढोकते फिर रहे हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, किसी को आम जनता की चिंता नहीं है। एकाध नेता को छोड़ दीजिए, किसी ने प्रभावित इलाकों का रुख नहीं किया। कोढ़ में खाज द्रव्यवती नदी बन गई है।
आधे-अधूरे एसटीपी को चालू करके भर दिया गटर का पानी और काट दिया फीता। अब शास्त्रीनगर ही नहीं मानसरोवर, सांगानेर, सोडाला, न्यू सांगानेर रोड के वाशिंदे भी ठहरे पानी की सडऩ और मच्छरों का प्रकोप झेलेंगे। बिना काम पूरा हुए आधी-अधूरी परियोजना को शुरू करने का क्या औचित्य।
जनता को नरक में ठेल दो, बस। आखिर कब तक शहर राजनीति के दंश झेलेगा। अब मौका है, जनता को हिसाब चुकाने का। किसी भी दल का नेता हो। एक-एक डंक का हिसाब ले लेना। पूरा विश्व जयपुर और जीका को लेकर चिंतित है। गर्भवती ही नहीं, छात्र भी पीडि़त हैं। दुनिया का मुंह देखने से पहले ही गर्भ में पल रहे बच्चों पर आफत आ पड़ी है।
पर्यटकों ने सीजन में मुंह फेर लिया है, प्रभावित इलाकों में त्योहार पर बाजार सूने हैं। लेकिन प्रशासन है कि अभी इलाज ही तय नहीं कर पा रहा। कब करेगा? 11 दिसंबर के बाद। वो तो खुशकिस्मती हमारी कि जीका अभी तक जानलेवा नहीं बना है। आगे भगवान भला करे!
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