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‘कोच’ के त्याग और बलिदान की बदौलत गोल्ड जीतने में कामयाब हुई पीवी सिंधु

पीवी सिंधु की जिस सफलता को आज पूरी दुनिया देख रही है उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण तो छिपा है ही, इसके अलावा एक व्यक्ति और है जो उनकी सफलता में बराबर का हकदार है।

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Manoj Sharma Sports

Aug 26, 2019

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नई दिल्ली। भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने स्विट्जरलैंड के बासेल में सम्पन्न हुई बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है।

इस गोल्ड समेत अब पीवी सिंधु के बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कुल पांच मेडल हो गए हैं। इनमें एक गोल्ड, दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं।

चीनी खिलाड़ी को चटाई धूल

खिताबी मुकाबले में पीवी सिंधु ने चीन की नोजोमी ओकुहारा (वर्ल्ड रैंकिंग-4) को हराकर न केवल चीनी वर्चस्व को तोड़ा बल्कि तिरंगे का परचम भी विश्व पटल पर लहरा दिया।

सिंधु की सफलता के पीछे कहानी...

पीवी सिंधु की जिस सफलता को आज पूरी दुनिया देख रही है उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण तो छिपा है ही इसके अलावा एक व्यक्ति और है जो उनकी सफलता में बराबर का हकदार है।

ये व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि पीवी सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद हैं। एक समय ऐसा भी था जब गोपीचंद के पास खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने तक के लिए पैसे नहीं थे और उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। नौबत यहां तक आ गई थी कि उन्हें अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा था।

हालांकि गोपीचंद अपने स्वभाव के मुताबिक कभी धैर्य नहीं खोते और मुश्किल वक्त में भी उसका डटकर सामना करते हैं। गोपीचंद एकेडमी का नाम आज पूरे देश में जाना जाता है लेकिन इसकी शुरुआत और सफलता की कहानी काफी लंबी और संघर्ष से भरी है।

गोपीचंद ने साल 2003 में गाचीबावली के सरकारी स्टेडियम में अपने बुलंद इरादों के साथ कोचिंग शुरू की थी। पैसे की तंगी भले ही थी लेकिन उनके सपने और सोच कुछ और ही थे। उन्होंने सोच रखा था कि उन्हें वो कर दिखाना है जो पहले कभी नहीं हुआ था।

जब घर तक रखना पड़ा गिरवी

गोपीचंद उस दिन को याद करते हुए कहते हैं, "मुझे नहीं पता था कि सब कैसे होगा। मैं कुछ बिना सोचे समझे बस जुट गया। फंड की समस्या को दूर करने के लिए कई कॉर्पोरेट हाउसों के चक्कर लगाए। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों से भी मदद मांगी लेकिन सभी से न ही सुनने को मिली। नौबत यहां तक आ गई कि मुझे अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा।"

एक तंज ने दिया कुछ कर गुजरने का हौसला

गोपीचंद को सबसे अधिक जो बात खलती थी वह ये थी कि कई विदेशी लोग कहते थे कि भारतीय खिलाड़ी बैडमिंटन में अच्छे नहीं हो सकते। गोपीचंद ने ठान लिया था कि उन्हें इस मिथक को तोड़ना है।

गोपीचंद के ये हीरे आज पूरी दुनिया में बिखेर रहे हैं अपनी चमक

गोपीचंद के तराशे हुए हीरे आज पूरी दुनिया में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। गोपीचंद से कोचिंग पाने वालों में पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, पारुपल्ली कश्यप, बी सुमित रेड्डी, एन सिक्की रेड्डी, गुरुसाई दत्त और बी. साई प्रणीत जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।

आज जब ये खिलाड़ी नेशनल या इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में मेडल जीतते हैं जो गोपीचंद की सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। इन बच्चों की कामयाबी में वे अपने सारे दुख और तकलीफ भूल जाते हैं।