scriptउड़न सिख मिल्खा सिंह की बेटी अमरीका में लड़ रही है कोरोना के खिलाफ जंग, बोलीं- मैराथन से कम नहीं | The daughter of Milkha Singh is fighting in America against Corona | Patrika News

उड़न सिख मिल्खा सिंह की बेटी अमरीका में लड़ रही है कोरोना के खिलाफ जंग, बोलीं- मैराथन से कम नहीं

locationनई दिल्लीPublished: Apr 21, 2020 07:52:33 pm

Submitted by:

Mazkoor

Milkha Singh देश के महानतम फर्राटा धावकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने खेल में देश का नाम रोशन किया तो उनकी बेटी अमरीका में कोरोना वॉरियर्स बनकर भारत का नाम ऊंचा कर रही हैं।

Mona Milkha Singh

Mona Milkha Singh

नई दिल्ली : भारत के महानतम फर्राटा धावकों में से एक मिल्खा सिंह (Milkha Singh) को देश का बच्चा-बच्चा जानता है। मामूली अंतर से ओलंपिक में पदक जीतने से चूक गए उड़न सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह भारत के पहले ऐसे एथलीट थे, जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार गोल्ड मेडल जीत कर भारत का नाम ऊंचा किया था। अब उनकी बेटी मोना मिल्खा सिंह (Mona Milkha Singh) अमरीका में कोरोना वॉरियर्स बनकर एक बार फिर देश का नाम ऊंचा कर रही हैं। मोना न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में जुटी हैं। बता दें कि मोना मशहूर गोल्फर जीव मिल्खा सिंह (Jeev Milkha Singh) की बड़ी बहन हैं।
बता दें कि कोविड-19 से पूरी दुनिया परेशान है, लेकिन अमरीका में यह महामारी भयावह रूप ले चुकी है। इस वायरस के कारण वहां 40,000 से अधिक लोग मर चुके हैं।

अमरीका में डॉक्टर हैं मोना

मोना मिल्खा सिंह न्यूयॉर्क के एक मेट्रोपॉलिटन अस्पताल में डॉक्टर हैं। इस अस्पताल में कोरोना संक्रमितों का आपातकालीन इलाज होता है। मोना के भाई और चार बार के यूरोपीय टूर चैंपियन जीव मिल्खा सिंह ने बताया कि मोना न्यूयॉर्क शहर में मेट्रोपॉलिटन अस्पताल केंद्र में एक इमरर्जेंसी रूम में चिकित्सक हैं। इस कारण जब कोई कोरोना वायरस के लक्षणों के साथ आता है तो उन्हें ही उसका इलाज करना होता है। जीव ने बताया कि वह मरीजों की जांच करती हैं और उनका उपचार भी करती हैं। मरीजों को क्वारंटाइन करने के लिए विशेष वार्डों में भेजे जाने से पहले वही उन्हें इंटुबेशन करती है। इंटुबेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें मरीज में कृत्रिम वेंटिलेशन ट्यूब की प्रविष्ट कराया जाता है।

पटियाला मेडिकल कॉलेज से पढ़ी हैं मोना

जीव मिल्खा सिंह ने बताया कि 54 साल की मोना 90 के दशक में अमरीका गई थीं। उससे पहले उन्होंने पटियाला मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की थी। वह 20 साल से भी ज्यादा समय से अमरीका में काम कर रही हैं। उन्हें अपनी बहन पर गर्व है। जीव ने कहा कि उन्हें अपनी बहन पर गर्व है। उनकी बहन कहती हैं कि कोरोना के खिलाफ जंग हर दिन मैराथन दौड़ने जैसा है। जीव ने बताया कि वह सप्ताह में पांच दिन काम करती हैं। उनकी 12 घंटे की ड्यूटी कर दी गई है। वह भी कभी दिन में तो कभी रात में लगती है।

मोना को लेकर हम सब चिंतित रहते हैं

चंडीगढ़ में रह रहे मोना के भाई जीव मिल्खा सिंह ने बताया कि मोना का काम काफी तनावपूर्ण है। इस वजह से उन्हें उनकी चिंता सताती रहती है। उन्होंने कहा कि जब डॉक्टर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे होते हैं, तब कुछ भी हो सकता है। इसलिए हमलोग रोज उनसे बात करते हैं। भाई मिल्खा ने बताया कि मम्मी-पापा भी नियमित रूप से बहन मोना के संपर्क में रहते हैं। जीव ने कहा कि हम पूछते रहते हैं कि वह कैसा महसूस कर रही हैं। हम उनसे कहते रहते हैं कि यदि कोरोना का कोई भी लक्षण दिखें तो परेशान नहीं होना है। बस अपना इम्यून सिस्टम बढ़ाने पर जोर देना है।

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