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बालाकोट एयर स्ट्राइक: डेढ़ महीने बाद मदरसे में पहुंची अंतरराष्ट्रीय मीडिया, सबूत मिटाने के बाद पाकिस्तान सेना ने दी इजाजत

26 फरवरी को भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर हमला किया था
पाकिस्तान ने 43 दिन तक किसी को आने की नहीं दी इजाजत
भारत के हमले में मारे गए थे 200-300 आतंकी

नई दिल्लीApr 11, 2019 / 11:53 am

Siddharth Priyadarshi

 balakot madrasa

लाहौर। बालाकोट एयर स्ट्राइक के डेढ़ महीने बीतने के बाद पाकिस्तानी सेना ने आखिरकार मीडिया को जैश के मदरसे का दौरा करने की इजाजत दे दी है। पाकिस्तान ने लम्बे समय तक नकारने के बाद मीडियाकर्मियों के एक समूह और कुछ विदेशी राजनयिकों को मदरसे और उसके आस-पास के इलाके का दौरा कराया। बता दें कि पुलवामा हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी को यहीं पर जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर हमला किया था। भारत का दावा है कि इस एयरस्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस दहलाने वाले आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाक स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

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मदरसे में पहुंची अंतरराष्ट्रीय मीडिया

बालाकोट मदरसे के दौरे की इजाजत देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। इसके बाद पाकिस्तान ने एयर स्ट्राइक के 43 दिन बाद बीबीसी के पत्रकारों को मदरसे में घुसने की इजाजत दी। इस फैसले के बाद मीडियाकर्मियों का एक छोटा समूह मदरसे का दौरा करने गया। पाकिस्तानी सेना ने मीडियाकर्मियों की एक टीम और विदेशी राजनयिकों को मदरसे और उसके आस-पास के इलाके का दौरा कराया। बता दें कि एयरस्ट्राइक के बाद यहां पर पत्रकारों के आने पर रोक थी। स्थानीय लोगों को भी इस मदरसे के आसपास नहीं आने दिया जा रहा था।

कैसा है मदरसा

बीबीसी उर्दू ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पत्रकारों की टीम को हेलीकॉप्टर में इस्लामाबाद से बालाकोट स्थित जाबा नामक स्थान पर ले जाया गया। खबरों में बताया गया है कि यह एक जंगली इलाके में स्थित है। इस मदरसे तक पहुंचने के लिए पत्रकारों को करीब डेढ़ घंटे तक पैदल चलना पड़ा। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मदरसे के भीतर करीब 150 बच्चे मौजूद थे और उन्हें कुरान पढ़ाई जा रही थी। बीबीसी की इस टीम का दौरा करीब 20 मिनट तक चला। इस दौरान उन्हें कुछ तस्वीरें लेने की इजाजत दी गई। पत्रकारों ने मदरसे के कुछ शिक्षकों से भी बात की। लेकिन जब पत्रकारों ने जब स्थानीय लोगों से बात करने की कोशिश की तो उन्हें रोक दिया गया। वहीं बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब उन्होंने आम लोगों से बात करने की कोशिश की तो उनसे कहा गया कि ‘कृपया यहां देर न करें।’

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पाकिस्तान ने मिटाए सबूत

सवाल यह उठता है कि आखिरकार एयर स्ट्राइक के इतने दिन बीतने के बाद पत्रकारों को मदरसे का दौरा करने की इजाजत क्यों दी गई ! असल में भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने 43 दिन तक सभी सबूत मिटाए हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान ने पत्रकारों को क्या सच में बालाकोट के मदरसे का ही दौरा कराया अथवा किसी और मदरसे का! पत्रकारों ने मदरसे के पास एक गड्ढा भी देखा जहां भारतीय विमानों ने बम गिराए थे। पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने पत्रकारों को बताया कि यह मदरसा है हमेशा से ऐसा ही था। लेकिन असल सवाल अब भी जिंदा है। आखिरकार पाक सेना ने 43 दिन बाद पत्रकारों को दौरा करने की इजाजत क्यों दी ? मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि इसके वजह वहां के अस्थिर हालात थे।उन्होंने कहा कि वहां के हालात ऐसे नहीं थे कि किसी को भी जाने इजाजत दी जाए।

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