दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
सुखराम विश्नोई
विश्नोई सांचौर से लगातार दो बार जीते और तीसरी बार भाग्य आजमाया हैं। विश्नोई पाली संभाग से अशोक गहलोत सरकार में एक मात्र मंत्री और कांग्रेस के एक मात्र विधायक है। विश्नोई की हार-जीत उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी है।
सुरेन्द्र गोयल
वसुंधरा सरकार में केबिनेट मंत्री रहे सुरेन्द्र गोयल अब तक पांच बार भाजपा से जीते। स्वाभिमान का नारा देकर इस बार वे हाथ के सहारे मैदान में उतरे हैं। उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। चुनाव परिणाम तय करेंगे कि गोयल का अगला राजनीतिक सफर कैसा रहेगा। क्योंकि अब उनकी गिनती उम्रदराज नेताओं में है।
संयम लोढ़ा
मुख्यमंत्री के सलाहकार लोढ़ा के लिए चुनाव परिणाम प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ हैं। मौजूदा सरकार में लोढ़ा का कद काफी बड़ा रहा। सरकार के संकट मोचक रहे। वेे सिरोही से 1998, 2003, 2018 में विधायक रह चुके हैं। ऐसे में लोढ़ा का राजनीतिक भविष्य 2023 के चुनाव परिणामों पर टिका हुआ है।
ओटाराम देवासी
सिरोही से दो बार विधायक रहे देवासी वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे हैं। इस बार के चुनाव परिणाम तय करेंगे कि देवासी का राजनीतिक भविष्य और कद कितना लंबा होगा। देवासी की भाजपा में अलग पहचान है। वे चामुंडा माता मंदिर के पुजारी है। यदि वे चुनाव नहीं जीत पाए तो उनकी आगे की राह कठिन होगी।
पुष्पेन्द्रसिंह राणावत
बाली विधानसभा से राणावत ने छठी बार भाग्य आजमाया है। यदि चुनाव जीते तो यह उनकी डबल हैट्रिक होगी तथा राजनीतिक कद में भी इजाफा होगा। ऐसा हुआ तो वे चुनिंदा राजनेताओं में शामिल हो जाएंगे, जिन्होंने एक ही सीट से लगातार 6 बार चुनाव जीता। यदि पासा पलटा तो राजनीतिक राह में मुश्किलें आएगी।
निरजंन आर्य
पूर्व सीएस आर्य की यह पहली सियासी पारी है। ब्यूरोक्रेसी में शीर्ष पर पहुंचे आर्य राजनीति में कितने सफल होंगे, यह चुनाव परिणामों पर निर्भर करेगा। हालांकि, 2013 में उनकी पत्नी संगीता आर्य भी भाग्य आजमा चुकी है। आर्य के भविष्य के लिए यह चुनाव बेहद अहम साबित होगा।
यहां बनेंगे नए रिकॉर्ड
● पाली में भाजपा उम्मीदवार ज्ञानचंद पारख के सिर पर जीत का सेहरा बंधता है तो यह उनकी छठी जीत होगी। एक ही सीट से लगातार 6 बार चुनाव जीतने का पाली संभाग का यह अनोखा रिकॉर्ड होगा। यदि कांग्रेस प्रत्याशी भीमराज भाटी जीतते हैं तो पाली सीट से पारख और पुष्पा जैन के बाद भाटी तीसरे व्यक्ति होंगे, जो दो बार विधायक बनेंगे।
● सिरोही विधानसभा सीट पर 1990 के चुनाव से एक ट्रेंड चल रहा है। 1990 और 1993 में तारा भंडारी, 1998 और 2003 में संयम लोढ़ा तथा 2008 व 2013 में ओटाराम देवासी लगातार दो-दो बार वियजी हुए। इस बार यदि कांग्रेस प्रत्याशी संयम लोढ़ा के पक्ष में चुनाव परिणाम रहते हैं तो यह संयोग बरकरार रहेगा, अन्यथा क्रम टूट जाएगा।
● भीनमाल सीट पर भी इस बार नया रिकॉर्ड बनेगा। मौजूदा विधायक पूराराम चौधरी लगातार तीन बार से विधायक है। इनसे पहले यह रिकॉर्ड कांग्रेस नेता सूरजपालसिंह के नाम था। अब यदि चौधरी चुनाव जीतते हैं तो लगातार चौथी जीत का रिकॉर्ड उनके नाम होगा। यदि चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहता है तो लगातार जीत का सिलसिला भी थम जाएगा।
● सांचौर विधानसभा सीट से अब तक कोई भी विधायक दो बार से ज्यादा लगातार नहीं जीत पाया। इस बार यदि विश्नोई चुनाव जीते तो उनके नाम तीन बार लगातार जीतने का नया रिकॉर्ड बनेगा अन्यथा नहीं।
● रानीवाड़ा विधानसभा सीट से भी अब तक लगातार तीन बार कोई भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया। यदि चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहते हैं तो दो बार के मौजूदा विधायक नारायणसिंह देवल यह रिकॉर्ड अपने नाम कर पाएंगे।
● रेवदर विधानसभा सीट पर यदि चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे तो रेवदर सीट से लगातार पांचवीं बार जीतने वाले विधायक जगसीराम होंगे। यदि परिणाम विपरीत रहते हैं तो जगसीराम की लगातार जीत का सिलसिला थम जाएगा।
● पिण्डवाड़ा सीट के चुनाव परिणामों पर भी सबकी नजर है। यहां यदि भाजपा को जीत मिलती है तो मौजूदा विधायक की हैट्रिक बन जाएगी। परिणाम पक्ष में नहीं रहे तो जीत का सिलसिला भी थम जाएगा और हेट्रिक का सपना भी टूट जाएगा।