ग्राम इमलिया (मढ़ा) ग्रामीणों ने गांव के बुजुर्ग देवपाल सिंह बुंदेला बताते हैं, पत्थरों के इस टीले में कुछ प्रतिमाएं मिलीं थीं। गांव के लोग उन प्रतिमाओं को सुरक्षित रखकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यह सिलसिला कई दशकों से चला आ रहा है।रूपझिर ग्राम पंचायत के सचिव मुन्नाराजा बुंदेला ने बताया, देखने में प्रतिमाएं बहुत प्राचीन लग रही हैं। पत्थरों के टीले से ग्रामीणों ने कुछ प्रतिमाओं को निकाला था। कई दशकों से वे इन्हें देवी-देवता मानकर पूजा-अर्चना करते हैं। ग्रामीणों की मान्यताओं के कारण ही दशकों से प्रतिमाएं सुरक्षित हैं।
बुजुर्ग देवपाल सिंह बुंदेला बताते हैं कि ध्वस्त मंदिर के अवशेष से बने पत्थरों के टीले से ग्रामीणों ने जो प्रतिमाएं निकाली थीं, उनमें भगवान विष्णु और सूर्यदेव सहित कई देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। ग्रामीण यह भी ध्यान रखते हैं कि कोई इन्हें चुरा नहीं ले जाए। ग्रामीणों की इन पर बड़ी आस्था है। गांव के ही एक अन्य बुजुर्ग नत्थू सिंह ने बताया, बचपन से ही हम लोग इसी तरह से मढ़ा में पत्थरों का टीला देख रहे हैं। इसमें से शिवलिंग और कुछ प्रतिमाएं निकलीं, जिनकी लोग पूजा करने लगे। एक बड़े से पत्थर में बनी सूर्यदेव की प्रतिमा देखते ही बनती है। गांव के लोगों ने इन्हें सुरक्षित कर रखा है।
ग्राम इमलिया (मढ़ा) से करीब 20 किमी दूर स्थित ग्राम सलैया समारी में इससे पहले 10वीं-11वीं सदी के दो प्राचीन मंदिर खोजे गए थे। पुरातत्व विभाग खंड़हर की खुदाई कराकर वहां से मिली मूर्तियों और पत्थरों को परिसर में ही सुरक्षित रखवा रहा है। जिससे बाद में खंडहर को मंदिर का स्वरूप दिया जा सके और क्षेत्र में फैली पुरातात्विक धरों को व्यवस्थित कराया जा सके।
प्रभारी जिला पुंरातत्व अधिकारी सुल्तान सिंह का कहना है कि फोटो देखने से तो लग रहा है कि प्रतिमाएं बहुत पुरानी हैं। मौके पर जाकर ध्वस्त मंदिर और प्रतिमाओं के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। इसके बाद ही इस संबंध में आगे जानकारी भेजी जाएगी।