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Dog Babu Viral Certificate: ‘डॉग बाबू’ निवास प्रमाण पत्र मामले में एक अधिकारी निलंबित, दूसरा बर्खास्त

Dog Babu Viral Certificate ‘डॉग बाबू’ के नाम से जारी आवास प्रमाण-पत्र मामले में पटना जिला प्रशासन ने सोमवार को त्‍वरित कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी के निलंबन कर दिया, जबकि एक अन्य कर्मी को सेवा से मुक्त कर दिया है।

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Patna dog Residential Certificate (X)

Dog Babu Viral Certificate पटना के मसौढ़ी अंचल से संबंधित ‘डॉग बाबू’ के नाम से एक आवास प्रमाण-पत्र जारी मामले में पटना जिला प्रशासन ने सोमवार को त्‍वरित कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी के निलंबन कर दिया, वहीं एक अन्य कर्मी को सेवा से मुक्त कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने पटना जिलाधिकारी डॉ. त्‍यागराजन एसएम को इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

कागजातों का बिना सत्यापन बना आवास प्रमाण-पत्र

पटना जिला प्रशासन की ओर से की जा रही शुरुआती जांच में पता चला है कि दिल्ली की एक महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर विगत 15 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन किया गया था। आवेदन में दिए गए कागजातों का बिना सत्यापन किए बिना ही आवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में आईटी सहायक और राजस्व अधिकारी, दोनों को दोषी पाया गया है। इन पर गलत डिजिटल हस्ताक्षर करने और नियमों की अनदेखी करने का भी आरोप है। इसके अलावा जिस व्यक्ति की पहचान पत्र का दुरुपयोग किया गया है, वह भी जांच के दायरे में है।

राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान को निलंबित

इस मामले की जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए। इस मामले में राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान को निलंबित करने की अनुशंसा जिलाधिकारी ने कर दी है। वहीं, आईटी सहायक को सेवा से मुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा अज्ञात आवेदक और दोनों अधिकारियों पर भारतीय न्‍याय संहिता की धारा 316(2), 336(3), 338 और 340(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

‘डॉग बाबू’ आवास प्रमाण-पत्र रद्द


फिलहाल यह मामला पुलिस अनुसंधान में है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। ‘डॉग बाबू’ के आवास प्रमाण-पत्र को रद्द कर दिया गया है। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ने सभी जिला पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि NIC के सर्विस प्लस पोर्टल पर दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाए। साथ ही जल्द ही इस पोर्टल पर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद लेने की बाट कही गई है ताकि आगे किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके। यह मामला न केवल सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बिहार सरकार अब डिजिटल धोखाधड़ी पर कड़ी नजर रखे हुए है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।