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गणित की जमीन पर क्यों घटने लगी गणित की चमक?

आर्यभट्ट की जमीन पर गणित में फेल होने लगे हैं आधे बच्चे, शिक्षा और शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने में विफल हो रहा बिहार

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कैसे सुधरेगा गणित का हाल ?

कैसे सुधरेगा गणित का हाल ?

राष्ट्रीय गणित दिवस
पटना। बिहार गणितज्ञों की भूमि रहा है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में यहां छात्र गणित विषय में अच्छे नंबर नहीं ला पा रहे हैं। बिहार १०वीं बोर्ड की परीक्षा में वर्ष 2017 में लगभग 50 प्रतिशत छात्र फेल हो गए थे, इनमें से आधे से ज्यादा छात्र कमजोर गणित की वजह से फेल हुए थे, आखिर क्यों? अनेक अध्ययन सरकार को यह बता चुके हैं कि शिक्षा और शिक्षकों का स्तर खराब हो चुका है, अत: बिहार में अब पहले की तरह गणितज्ञ पैदा नहीं हो रहे हैं।

शून्य का आविष्कार
बिहार शून्य की खोज की भूमि रहा है। पहली बार बिहार की जमीन से ही अध्ययन करके एक गणितज्ञ-भौतिकशास्त्री आचार्य आर्यभट्ट ने बताया कि सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण कैसे होता है। आर्यभट्ट का जन्म दिसंबर 476 में हुआ था और मृत्यु दिसंबर 550 में हुई थी। उनका कार्यक्षेत्र कुसुमपुर था, अर्थात आज का पटना। पांचवीं शताब्दी के इस गणितज्ञ को पूरी दुनिया याद करती है। बीजगणित की आधारशिला आर्यभट्ट ने ही रखी थी। इन्होंने आर्यभट्टीय व आर्य सिद्धांत और तंत्र नामक दो ग्रंथों की रचना की। इन्हीं के नाम पर भारत के प्रथम उपग्रह या सेटेलाइट का नाम आर्यभट्ट रखा गया। स्थानीय मान प्रणाली आर्यभट्ट की ही देन है, इसी से आगे चलकर शून्य का जन्म हुआ। गिनती तो 1 से शुरू होकर 10 तक पहुंचेगी, लेकिन 1 कहां से शुरू होगा। इसकी जरूरत को सबसे पहले आर्यभट्ट ने ही समझा और स्थानीय मान प्रणाली को प्रतिपादित किया।
वर्तमान दानापुर के पास ही प्राचीन कुसुमपुरा था, जहां खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने एक वेधशाला का निर्माण किया था, इस क्षेत्र का नाम खगौल पड़ गया था। कुछ विद्वान यहां तक मानते हैं कि आर्यभट्ट का जन्मस्थान बिहार स्थित कुसुमपुरा ही है, जबकि कुछ विद्वानों का कहना है कि उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था और कुसुमपुरा या पटना पढऩे आए आर्यभट्ट यहीं के होकर रह गए। पटना के पास तारेगना ही वह जगह है, जिसे ग्रहण देखनेे के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। कहा जाता है कि आर्यभट्ट यहां भी ग्रहण के समय अध्ययन के लिए आया करते थे।

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कैसे सुधरेगा गणित का हाल ?
1 - बिहार में शिक्षकों की गुणवत्ता तत्काल सुधारने की जरूरत।
2 - प्रशिक्षित और समर्पित शिक्षकों को ही आगे बढ़ाना पड़ेगा।
3 - सरकार को गुणीजनों और गणितज्ञों का आदर करना पड़ेगा।
4 - योग्यता का सम्मान बढ़ेगा, तो बिहार में योग्यता भी बढ़ेगी।
5 - सुधार के लिए शिक्षा तंत्र में आमूलचूल बदलाव लाना पड़ेगा।