पटना

बिहार: वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण पर भड़के ग्रामीण, कहा- चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे कागजात कहां से लायें?’

Bihar Assembly Elections 2025 बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण काम शुरू हो गया है। इसको लेकर ग्रामीण काफी आक्रोशित हो गए हैं. उनका कहना है कि मेरे पास तो सिर्फ आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड। हम कहां से चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित 11 दस्तावेजों को लेकर आएं?

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Jul 04, 2025
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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के एक फरमान से अफरा तफरी की स्थिति बनी हुई है। चुनाव आयोग के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के आदेश से विपक्ष आक्रोशित है। इधर, ग्रामीण परेशान हैं। उनका कहना है कि मेरे पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड के अतिक्त कुछ भी नहीं है। फिर चुनाव आयोग की ओर से मांगे जा रहे दस्तावेजों कहां से दें। रोजी रोटी के लिए बिहार से बाहर गए प्रवासी मजदूरों का भी कुछ अपना ही दर्द है।

कहां से लाएं कागज?

दरअसल, यह परेशानी उनके लिए सबसे ज्यादा है जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे। उन्हें अपनी “नागरिकता” साबित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित 11 दस्तावेजों में से एक प्रदान करना होगा। लेकिन गांव में रहने वाले गरीब मजदूरों के पास इमने से कुछ भी नहीं है। उनका कहना है कि क्या मेरी नागरिकता छिन जायेगी, सरकार की ओर से जो योजनाओं का अभी मुझे लाभ मिल रहा है क्या वह हमसे वापस ले लिया जायेगा? ऐसे कई सवाल हैं जो उन्हें परेशान कर रहे हैं।

कैसे बनेंगे कागज

जहानाबाद के संजय यादव कहते हैं कि “बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) का कहना है कि 25 जुलाई से पहले निवास या जाति प्रमाण पत्र बनवा लें, तभी मेरा (मतदाता नामांकन) फॉर्म भरा जा सकता है।” यह कहानी बिहार के किसी एक गांव की नहीं है। बिहार के गांव-गांव में इस प्रकार का मामला सामने आया है।

पप्पू यादव ने क्यों कहा गांव नहीं घुसने दें

सांसद पप्पू यादव गुरूवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की सबसे बड़ी समस्या गांव में है। ग्रामीण गरीब मजदूरों के पास कुछ नहीं है। वे कहां से सरकार जो मांग रही है वह सब देंगे। आयोग एक पार्टी के इशारे पर काम कर रही है। उसके इशारे पर ही वे गरीबों का मतदाता सूची से नाम काटने के लिए यह सब हो रहा है। उन्होंने ग्रामीणों से कहा था कि जरुरत पड़े तो मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य के लिए आपके गांव में जो बीएलओ आएं उनको भगा दें।

20 दिनों में 77,000 से अधिक बीएलओ करेंगे जांच

अगले 20 दिनों में 77,000 से अधिक बीएलओ के साथ-साथ अन्य सरकारी कर्मचारियों और राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को संशोधन अभ्यास के हिस्से के रूप में 7.8 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं के पिछले रिकॉर्ड की जांच करनी होगी। जबकि सभी नए पंजीकरणों के लिए आवेदक के नागरिक होने की घोषणा आवश्यक है, इस बार चुनाव आयोग सभी नए और मौजूदा मतदाताओं के लिए नागरिकता प्रमाण मांग रहा है।

गांव में आवासीय बनाने के लिए मची होड़

इसको लेकर बिहार के गांवों में बेचैनी है। आवासीय और जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए बेताब होड़ मची हुई है, जो चुनाव आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 दस्तावेजों में से सबसे अधिक उपलब्ध है। हालांकि, सभी जिला मजिस्ट्रेटों को ये प्रमाणपत्रों को शीघ्र जारी करने के निर्देश दिया गया है। लेकिन, सरकारी अधिकारी इसे कितना सुनते हैं इसकी तस्वीर तो एक दो दिन में सामने आयेगी।

Published on:
04 Jul 2025 11:52 am
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