यहां मां पार्वती ने किया था राक्षसों का वध, शिव भक्तों की इच्छा होती है पूरी
हजार साल पुराने इस मंदिर के लिए मान्यता है कि लिट्टी एवं वसा नामक दो राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था
lingaraj temple bhubaneswar
मंदिरों के शहर भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर को यहां मौजूद मंदिरों में सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लगभग हजार साल पुराने इस मंदिर के लिए मान्यता है कि लिट्टी एवं वसा नामक दो राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था, लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने कुआं बना कर सभी नदियों का आह्वान किया।
यह मंदिर वैसे तो भगवान शिव को समर्पित है परन्तु शालिग्राम के रूप में भगवान विष्णु भी यहां मौजूद हैं। मंदिर के निकट बिंदुसागर सरोवर है। माना जाता है कि 11वीं सदी में सोमवंशी राजा ययाति केसरी ने मंदिर का निर्माण करवाया। 180 फुट के शिखर वाले मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार का है और कलश की ऊंचाई 40 मीटर है।
वास्तुकला की दृष्टि से लिंगराज मंदिर, जगन्नाथपुरी मंदिर और कोणार्क मंदिर लगभग एक जैसी विशेषताएं समेटे हुए हैं। बाहर से देखने पर मंदिर चारों ओर से फूलों के मोटे गजरे पहना हुआ-सा दिखाई देता है। मंदिर के चार हिस्से हैं – मुख्य मंदिर और इसकेअलावा यज्ञशाला, भोग मंडप और नाट्यशाला।
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