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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भाग्य का 3 जून को होगा फैसला

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए करो या मरो जैसी स्थिति है। खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। लेकिन, अब चंपावत सीट से उन्हें हर हाल में चुनाव जीतना पड़ेगा। नहीं तो कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी।

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए पुष्कर सिंह धामी को चंपावत सीट के उपचुनाव को हर हाल में जीतना होगा। इस सीट के उपचुनाव के लिए 31 मई को मतदान और 3 जून को मतगणना होगी। इस प्रकार तीन जून को पुष्कर सिंह धामी के भाग्य का फैसला होगा। भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनाव जिताने के लिए पूरी टीम को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी ने बूथवार रणनीति बनाई है।

भारतीय निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड का चंपावत के साथ ओडिशा की ब्रजराजनगर और केरल की थ्रीक्काकारा विधानसभा सीट के उपचुनाव का कार्यक्रम भी घोषित किया है। तीनों सीटों के लिए 4 मई को अधिसूचना जारी होगी, 11 मई तक नामांकन, 16 मई तक नामवापसी, 31 मई को मतदान और 3 जून को मतगणना होगी। भाजपा प्रत्याशी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को के खिलाफ चंपावत सीट से अभी कांग्रेस ने किसी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। लगातार दूसरी बार जीते कैलाश गहतोड़ी की ओर से 21 अप्रैल को इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत सीट खाली करने पर उपचुनाव हो रहा है। खटीमा से विधानसभा चुनाव हार जाने के बावजूद भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया। ऐसे में अब उन्हें पद पर बने रहने के लिए चंपावत सीट से उपचुनाव जीतना जरूरी है। दरअसल, उत्तराखंड में विधान परिषद जैसी व्यवस्था नहीं है। इस प्रकार बैकडोर से विधायक बनने की व्यवस्था इस राज्य में न होने के कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हर हाल में विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बनना जरूरी है।