एस-400 मिसाइल बिल्कुल अलग और रूसी वायु रक्षा प्रणाली का अत्याधुनिक मिसाइल है। रूसी सैन्य बेड़े में इसे 2007 में शामिल किया गया था। डील के तहत भारत रूस से पांच S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदेगा। चीन रूस से यह डिफेंस सिस्टम पहले ही खरीद चुका है। फिलहाल चीन की आर्मी इसका इस्तेमाल करती है। भारत के साथ करार पर हस्ताक्षर के बाद भारतीय सेना भी एस-400 की क्षमता से लैस होगी। एस-400 पाकिस्तान या चीन की न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों से भी भारत को बचाएगा। ट्रायंफ लॉन्ग-रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम दुश्मन के आने वाले लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि 400 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन को नष्ट करने में यह सक्षम है। भारत की सैन्य प्रणाली में एस-400 के शामिल होने से उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। यह तकनीक परमाणु हमलों से भी देश की सुरक्षा को बनाए रख सकता है। बता दें कि भारत और रूस के बीच इस अहम रक्षा सौदे का ऐलान साल 2016 में गोवा में आयोजित ब्रिक्स समिट के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत के बाद हुआ था। यह एक तरह का मिसाइल शील्ड है।
रूस का एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम मौजूदा दौर का सबसे अच्छा मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। अमरीका समेत नाटो देश इसे बेहद खतराक मानते हैं। जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अल्माज सेंटर डिजाइन ब्यूरो की ओर से विकसित यह मिसाइल सिस्टम एस-300 सीरीज का एडवांस वर्जन है। 1990 के दशम में विकसित इस मिासइल सिस्टम को इकोनॉमिस्ट ने 2017 में बेहतरीन मिसाइल डिफेंस करार दिया है। इसे अमरीका के थाड (टर्मिनल हाई अल्टीट्यूट एरिया डिफेंस) से अच्छा माना जा रहा है। हालांकि दोनों की हथियार प्रणाली अलग-अलग है। रूस इसे सीरिया में भी इस्तेमाल कर चुका है।
एस-400 मिसाइल सिस्टम एक साथ कई काम कर सकता है। इसमें मल्टीफंक्शनल रडार, खुद ब खुद टारगेट ढूंढकर इस पर मिसाइल अटैक करने की क्षमता, एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉंचर, कमांड और कंट्रोल सिसटम है। इससे चार तरह की मिसाइलें दागी जा सती है। यह सुरक्षा का एक के बाद एक कई तहें बना डालता है। 400 सौ किलोमीटर के रेंज की यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर हर तरह के तरह के एयरक्राफ्ट, बैलिस्टिक, क्रूज मिसाइलों और यूएवी का सामना कर सकता है। एक साथ 100 हवाई टारगेट पर निशाना साध सकता है। यह मिसाइल सिस्टम अमरीकी एफ-35 जैसे सुपर फाइटर लड़ाकू विमानों का भी सामना कर सकता है। एस-400 का एक साथ छह एफ-35 सुपर फाइटर का मुकाबला कर सकता है।
भारत के पास इस वक्त आकाश और बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इसके अलावा भारत खुद का मल्टीलेयर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है जिसके तहत कम और ज्यादा ऊंचाई वाले टारगेट को भेदने की क्षमता होगी। भारत एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम और पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम के नाम से दो मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है। लेकिन अगर भारत पर बैलिस्टिक मिसाइल हमला होता है यह सिस्टम कारगर नहीं होगा।
इस वक्त्ा भारत की सबसे बड़ी चुनौती चीन है। भारत को अगर एक साथ चीन और पाकिस्तान से लड़ना पड़े तो एस-400 बड़े काम का साबित हो सकता है। भारत इस डिफेंस सिस्टम को हासिल करने के लिए इसलिए जल्दबाजी दिखा रहा है। चीन भ्ज्ञी रूस से इस सिस्टम की चार बटालियनों के लिए करार कर चुका है। इस साल जनवरीमें उसे इस सिस्टम की डिलीवरी शुरू हो चुकी है। 2015 में डिफेंस एग्जिीविशन काउंसिल ने 12 यूनिटें खरीदने का विचार किया था लेकिन अब पांच यूनिटें भाारत की जरूरत के लिए पर्याप्त मानी जा रही है। इनका सौदा पांच अरब डॉलर में होने जा रहा है। इस अब मिसाइल सिस्टम में सउदी अरब, इराक और कतर ने भी रुचि दिखाई है।
अमरीका एशिया में अपने खास स्ट्रेटजिक हितों को देखते हुए CAASTA के भारत को प्रतिबंधों से छूट दे सकता है। यानी एस-400 सौदे में प्रतिबंध के दायरे से मुक्त कर सकता है। पिछले महीने भारत के साथ अमरीका की 2प्लस2 की बातचीत में भारत में यह मामला उठाया था। कहा जा रहा है कि भारत ने चीन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के एक साथ हमला होने पर भारत को इसकी जरूरत पड़ सकती है। अमरीका ने भारत को संकेत दिए हैं कि वह इस सौदे के लिए भारत के खिलाफ कदम नहीं उठाएगा।