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जाति विवाद में मद्धिम पड़ी विकास की ज्योति

- बैतूल संसदीय क्षेत्र : विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 हजार की मिली बढ़त  

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बैतूल. लोकसभा के दो चुनावों में एकतरफा जीतने वाली सांसद ज्योति धुर्वे की राह इस बार कठिन दिख रही है। 2014 में जाति विवाद में उलझने के बाद क्षेत्र से दूरी बनाने का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है। वे 2014 में 3.28 लाख वोटों से जीती थीं। विधानसभा चुनाव 2013 में एक सीट पर सिमटी कांग्रेस ने बाजी पलटते हुए इस बार चार सीटें जीतीं और 40 हजार की बढ़त बनाई।
एसटी के लिए आरक्षित बैतूल-हरदा लोकसभा सीट से दो बार की सांसद ज्योति धुर्वे पर गलत जाति प्रमाण पत्र पेश करने का आरोप है। जांच में इसकी पुष्टि भी हुई कि वे आदिवासी कैटेगरी में नहीं आती हैं। कलेक्टर के जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने के बाद उनकी अपील अनुसूचित जाति समिति के पास लंबित है और वहां के स्थगन पर उनकी सांसदी टिकी हुई है। इस विवाद का क्षेत्र पर गहरा असर पड़ा है।
ज्योति संसद में सक्रिय रहीं, लेकिन क्षेत्र में उनकी सक्रियता सरकारी और पार्टी के कार्यक्रमों में ही दिखी। जाति विवाद में कांग्रेस ने उन्हें ऐसे घेर रखा है कि क्षेत्र से दूरी बनानी पड़ गई। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय संगठन में पद देकर जिम्मेदारी दी है, लेकिन इसका लाभ ना तो प्रदेश को मिला ना ही खुद के क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा। कोई बड़ा प्रोजेक्ट क्षेत्र को नहीं दिला सकीं। किसानों और बेरोजगारों की नाराजगी विधानसभा चुनाव 2018 में भारी पड़ी। आठ में से सात सीटों पर काबिज रही भाजपा ने तीन सीटें खो दीं और वोटों का समीकरण भी बिगड़ गया।
- बैतूल में हार से सकते में भाजपा
बैतूल-हरदा सीट भाजपा का गढ़ रही है। यहां से विजय खंडेलवाल लगातार चार बार सांसद रहे। इस बार विधानसभा चुनाव में बिगड़े वोटों के समीकरण से राष्ट्रीय स्वयंसेवक को भी बड़ा झटका लगा है। संघ ने ईसाई मिशनरीज के खिलाफ बैतूल को प्रयोगशाला बना रखी है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत बैतूल दौरे पर गए थे, लेकिन इसका भी लाभ भाजपा को नहीं मिला।

- सदन में रहती हैं मौजूद
ज्योति की सदन में उपस्थिति 84 फीसदी रही है। बजट सत्र में 96 तक पहुंच गई। 64 डिबेट में हिस्सा लिया और 228 प्रश्न लगाए।
- गोंगपा ने बिगाड़ा गणित
बैतूल-हरदा की सात विधानसभा सीटों के अलावा खंडवा की हरसूद सीट भी इसी क्षेत्र में आती है। इन सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की पैठ बढऩे से सबसे अधिक नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा है। हाल के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर उसने ताकत दिखाई है। भैंसदेही, आमला और घोड़ाडोंगरी में अच्छे वोट लिए। हालांकि, आमला सीट को भाजपा ने जीत लिया पर दो में उसकी हार हुई।
- सांसद निधि के सांस्कृतिक मंच
ज्योति ने 10 साल के कार्यकाल के दौरान अपनी निधि से कोई बड़ा काम जिले में स्वीकृत नहीं कराया है। ज्यादातर उपयोग सांस्कृतिक मंच बनाने के लिए किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिया, हैंडपंप, नलकूप खनन एवं चौपाल निर्माण के लिए राशि दी गई है। जिला सांख्यिकी विभाग के मुताबिक वर्ष 2016-17 में सांसद निधि के पांच करोड़ मिले थे, जिनमें से 3.81 करोड़ के कार्यों के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं। स्कूलों में शिक्षकों, अस्पताल में चिकित्सकों की कमी दूर नहीं हो सकी। बैतूल जिला जलअभाव ग्रस्त घोषित है, लेकिन पेयजल संकट से निपटने के लिए कोई बड़ी स्कीम आज तक नहीं बनाई जा सकी।
- ऐसा है वोटों का गणित
चुनाव वर्ष भाजपा कांग्रेस
2013 विधानसभा 607289(7 सीट) 434686(1 सीट)
2014 लोकसभा 6,43,651 3,15,037
2018 विधानसभा 597653(4 सीट) 638327 (4 सीट)

00 वर्जन
क्षेत्र में कई समस्याएं हैं। रोजगार का संकट है। पीने के पानी की समस्या है, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं। सांसद द्वारा समस्या के निराकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। रोजगार के लिए लोगों को आज भी पलायन करना पड़ता है।
- प्रदीप चौकीकर, बैतूल

बैतूल में सेंट्रल स्कूल की सांसद ने सौगात दी। जिले में अधोसंरचना निर्माण कार्यों में भी उनकी भूमि रही है। दादाधाम एक्सप्रेस बैतूल रूट को मिली है। कई विकास कार्य संसदीय क्षेत्र में कराए हैं।
- बबलू यादव, बैतूल

सांसद ने अपनी निधि से क्षेत्र में कार्य कराए हैं, लेकिन बड़े मुद्दों पर विफल रही है। क्षेत्र में कई ट्रेनों के स्टापेज की मांग, फोरलेन निर्माण और ओवरब्रिज जैसी मांगें अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।
- शांति कुमार देसानी, हरदा