पीडीपी प्रमुख महबूबा सबकुछ भूलकर उमर अब्दुल्ला के साथ ट्वीटर वार में उलझ गईं। पीडीपी प्रमुख महबूबा ने इतिहास की याद दिलाते हुए उमर को चुप रहने की नसीहत दी। पीडीपी ने की बीजेपी की मदद
दरअसल तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास होते ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर करारा सियासी प्रहार किया। उन्होंने महबूबा पर आरोप लगाया कि राज्यसभा में आप की पार्टी की गैरमौजूदगी के कारण सरकार को यह बिल पास कराने में मदद मिली।
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि महबूबा मुफ्ती जी, आप ट्वीट करने से पहले यह चेक करिए कि आपके सांसदों ने इस बिल पर कैसे वोट दिया।
मुझे लगता है कि वे सदन से अनुपस्थित रहे और ऐसा करके उन्होंने सरकार की मदद की। क्योंकि बिल को पास कराने के लिए सरकार को नंबर चाहिए थे।
मुख्तार अब्बास नकवी ने तीन तलाक को बताया गैरइस्लामी, जेडीयू का वाकआउट उमर को दिलाई 1999 की याद उमर अब्दुल्ला की इस टिप्पणी के बाद महबूबा मुफ्ती ने भी पलटवार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि उमर साहब, मेरा सुझाव है कि आप अपना नैतिकता का ऊंचा घोड़ा त्याग दें।
ऐसा इसलिए कि आपकी अपनी ही पार्टी थी जिसने 1999 में भाजपा के खिलाफ मतदान करने के लिए सोज साहब (सैफुद्दीन सोज) को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। महबूबा ने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में कोई निर्णय दे दिया है तो वह अपने आप में एक कानून बन गया है। ऐसे में अलग कानून लाने का क्या औचित्य है?
तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास होना मुस्लिमों को निशाना बनाने की चाल है।
रविशंकर प्रसाद: तीन तलाक वोट बैंक का नहीं, नारी न्याय का सवाल मुस्लिम परिवारों को तोड़ने की चाल बता दें कि तीन तलाक बिल मंगलवार को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े। इस दौरान राज्यसभा में कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों के साथ-साथ जेडीयू, अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस, बीएसपी ने भी तीन तलाक संबंधी विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की।