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अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद शिवसेना ने राहुल को बताया विपक्ष का चेहरा

शिवसेना के प्रवक्ता ने कहा कि शुक्रवार को संसद में अपने प्रदर्शन से राहुल ने साबित कर दिया है कि वह प्रभावपूर्ण तरीके से विपक्ष की अगुवाई कर सकते हैं।

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विश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद शिवसेना ने राहुल को बताया विपक्ष का चेहरा

मुंबई: शिवसेना ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ करते हुए उन्हें विपक्ष का चेहरा बताया। शिवसेना की यह टिप्पणी केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के लोकसभा में गिरने के एक दिन बाद आई है। राजग में शामिल शिवसेना ने शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। शिवसेना सांसद और पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने कहा, "राहुल अब विपक्ष का चेहरा हैं। यह बात (शुक्रवार) उनके भाषण से स्पष्ट हो गई है।" राउत सरकार की तीखी आलोचना करते रहे हैं।

विपक्ष की अगुवाई कर सकते हैं राहुल गांधी-शिवसेना

शिवसेना के प्रवक्ता ने कहा कि शुक्रवार को संसद में अपने प्रदर्शन से राहुल ने साबित कर दिया है कि वह प्रभावपूर्ण तरीके से विपक्ष की अगुवाई कर सकते हैं। निजी मराठी समाचार चैनल 'स्टार माझा' से बातचीत में राउत ने कहा, "राहुल ने प्रदर्शित कर दिया है कि वह विपक्ष की अगुवाई प्रभावी ढंग से कर उनकी आकाक्षांओं को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने अपने भाषण में बहुत हद तक यह कर दिखाया है।"राहुल के मोदी से गले मिलकर उनको अचंभित करने और उसके बाद आखों से इशारा करने के मसले पर राउत ने कहा, "उन्होंने (राहुल) वही किया, जो मोदी हमेशा करते हैं। राउत ने कहा, "प्रधानमंत्री पाकिस्तान गए थे और वह नवाज शरीफ से गले मिले थे, उससे क्या हुआ? राहुल जब मोदी से गले मिले तो हर कोई अचंभित था। उन्होंने बताया कि वह सफल राजनेता हैं और आंख से इशारा करके उन्होंने बताया कि वह सफल रहे।"शिवसेना के अविश्वास प्रस्ताव से दूर रहने के फैसले पर उन्होंने कहा, "कभी-कभी चुप रहना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।"

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा

बता दें कि सदन में सिर्फ 451 सांसद मौजूद थे। जिसमें से मोदी सरकार को दो-तिहाई बहुमत यानी 325 वोट मिले जबकि विपक्ष को 126 वोट ही पड़े। परिणाम आने के बाद एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में यानी सरकार के पक्ष में 325 सांसदों का आंकड़ा था। लेकिन मोदी सरकार को 325 वोट ही मिले।